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Rahul Sankrityayan जी के बारे में कुछ बातें

by Lucky Jack Content handler and blogger
हिंदी साहित्य में बहुत से कवि हुए लेकिन कुछ ऐसे खास थे कि जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं। जब साहित्य की किताबें हिंदी से ज्यादा हिंगिलिश की ओर जोर मारने लगे तो आपको भी मानना पड़ेगा कि अब राहुल जी सरीखे लोगों को शायद ही कोई एहमियत देता हो। हिंदी साहित्य के महान पंडित श्री सांकृत्यायन जी के बारे में आपको भी कुछ बातें पता होनी चाहिए क्योंकि ये भारतीय इतिहास की अनमोल धरोहर हैं।

1. 9 अप्रैल, 1893 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जन्में राहुल सांकृत्यायन के बचपन का नाम केदारनाथ पांडेय था। इनके पिता गोवर्धन पांडे और मां कुलवंती जी थी। 

2. Rahul Sankrityayan जी की प्राथमिक शिक्षा के लिए गांव के पास दाखिला करवाया गया। बचपन में ही राहुल जी का विवाह भी करवा दिया गया था। 

3. राहुल जी विवाह नहीं करना चाहते थे और इस वजह से उन्होने किशोरावस्था में ही अपना घर त्याग दिया था और इसके बाद वे एक मठ में जाकर साधू जैसा जीवन जीने लगे।

4. 14 साल की उम्र में वे कलकत्ता चले गए और इन्हें ज्ञान प्राप्त करना था इसलिए वे कलकत्ता में ज्ञान प्राप्त करने में जुट गए। वे जहां भी गए वहां की भाषा सीखकर वहां के लोगों से घुल-मिल जाते थे।

5. Rahul Sankrityayan जी को महापंडित कहलाना अच्छा नहीं लगता था और वे हमेशा कहा करते थे कि कमर बांध लो भावी घुमक्कड़ों, संसार तुम्हारे ही स्वागत में बेकरार है।

6. राहुल जी को 36 भाषाओं जानकारी थी और वे बनारस में संस्कृत का अध्ययन करने गए और आगरा से भी पढ़ाई की। फिर लाहौर में मिशनरी का काम किया और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान के समर्थक भी थे।

7. साल 1958 में राहुल जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार में सम्मानित किए गए थे और साल 1963 में पद्मभूषण से नवाजा गया था लेकिन आज शायद सरकार इन्हें याद करने से भी करतारती हो। इनका नाम शायद ही आज के बच्चे जानते हों।

8. Rahul Sankrityayan ने बिना उच्च शिक्षा हासिल किए अलग-अलग विषयों पर करीब 150 ग्रंथों की रचना की और अपने जीवन में ढेर सारी यात्राएं कीं।

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Created on Oct 16th 2019 06:11. Viewed 430 times.

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