E way बिल की हर वो जानकारी जो आप जानना चाहते हैं

जीएसटी के तहत ई वे बिल 1 अप्रैल से लागू हो रहा है। पढ़िए इस बिल की बड़ी बातें।

सभी राज्यों में यह व्यवस्था एक जून तक लागू हो जायेगी। | तस्वीर साभार: Thinkstock
नई दिल्ली: जीएसटी के तहत बहुत ही महत्वपूर्ण ई वे बिल (E way Bill) 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा है। CBEC ने इस संबंध में शुक्रवार को सर्कुलर जारी कर दिया है। राज्यों के बीच 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के वस्तुओं की ढुलाई के लिये इलेक्ट्रानिक वे या ई-वे बिल की जरूरत 1 अप्रैल 2018 से होगी। ट्रांसपोर्टर को जीएसटी (GST) कंप्यूटर प्रणाली से ई वे बिल लेना होगा। रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने उन मामलों में उन्हें ई वे बिल (E way Bill) निकालने के उद्देश्य के लिये केवल कर योग्य आपूर्ति पर भी विचार की अनुमति दे दी है जहां बिक्री बिल में छूट और कर योग्य आपूर्ति वाली वस्तुएं दोनों शामिल हैं।
50 किलोमीटर तक जरुरी नहीं
इसका मतलब है कि अगर जीएसटी (GST) के अंतर्गत आने वाले खाद्य उत्पादों को अगर दूध जैसे कर से छूट वाले उत्पादों के साथ भेजा जाता है तब केवल खाद्य उत्पादों को ही ई वे बिल (E way Bill) के लिये विचार किया जाएगा। इसमें ‘जाब वर्क’ का काम करने वाले भी वस्तुओं की आवाजाही के लिये इलेक्ट्रानिक रसीद निकाल सकते हैं। किसी राज्य विशेष में काम करने वाली छोटी कंपनियों की मदद के लिये इसमें कहा गया है कि 50 किलोमीटर तक वस्तुओं की आवाजाही को लेकर वाहनों के ब्योरे की जरूरत नहीं होगी। पहले यह सीमा 10 किलोमीटर थी। जीएसटी इंस्पेक्टर के मांगने पर ई वे बिल (E way Bill) को दिखाना होगा।
ई वे बिल की खास बातें
- ई वे बिल सॉफ्टवेयर में 'शिप टू' प्रोविजन जोड़ा गया है
- ट्रांसपोर्टर अब दूसरे रजिस्टर्ड या इनरोल किए ट्रांसपोर्टर को ईवे बिल नंबर असाइन कर सकता है, बाद में इसे बदला नहीं जा सकेगा
- पार्ट ए से जनरेट किया गया यूनिक नंबर पार्ट बी में अपडेट करने के लिए 15 दिन तक वैध रहेगा। इसके बाद ही वैधता शुरू होगी
- एयर, रेलवे या वेसल से सामान के ट्रांसपोर्ट के पहले या बाद में ई वे बिल दिया जा सकेगा
- ऐसा जरुरी नहीं है कि जो सामान लेकर जा रहा है उसके पास ई वे बिल की कॉपी हो
- एयर, रेलवे या वेसल से सामान से ट्रांसपोर्ट करने पर ई वे बिल का पार्ट बी दिखाना होगा
- जब टैक्सेबल या टैक्स छूट वाले सामान का ट्रांसपोर्ट हो रहा हो तो 50 हजार रुपए तक की गणना नहीं होगी
- ऐसी कंपनियां जो एविएशन, रेलवे या वेसल के तहत काम कर रही है तो कंसोलिडेटेड ईवे बिल जनरेट करने की जरुरत नहीं है
- ईवे बिल का यूनिक नंबर 15 दिन तक वैध रहेगा
- अगर वैलिडिटी पीरियड के दौरान सामान का ट्रांसपोर्ट नहीं हुआ तो पार्ट बी के फॉर्म में इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है
इन केस में ई वे बिल (E way Bill) जरुरी नहीं होगा
- डि-ऑयल केक के अलावा छूट दिए गए सामान पर
- एक कस्टम स्टेशन, पोर्ट से दूसरे कस्टम स्टेशन पोर्ट पर ट्रांसपोर्ट किए गए सामान पर
4 चरणों में लागू होगा ईवे बिल
जीएसटी काउंसिल (GST Council) की 26वीं बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था, 'अंतर्राज्यीय ई-वे बिल राज्यों के चार समूहों के साथ चरणों में लागू होगा। एक अप्रैल के बाद हर सप्ताह एक के बाद एक समूह इसके अधीन आ जाएगा और अप्रैल के अंत तक पूरे देश में इसे लागू करने का प्रयास किया जाएगा।' जेटली ने कहा था कि एक राज्य से दूसरे राज्य में माल के परिवहन के लिये एक अप्रैल से ई- वे बिल व्यवस्था को लागू कर दिया जायेगा जबकि राज्यों के भीतर माल परिवहन के लिये ई वे बिल व्यवस्था को 15 अप्रैल से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जायेगा।
1 जून से लागू होगी व्यवस्था
राज्यों के पहले समूह की घोषणा सात अप्रैल को की जायेगी। सभी राज्यों में यह व्यवस्था एक जून तक लागू हो जायेगी। ज्यादा से ज्यादा एक जून तक हर राज्य को अंतर्राज्यीय ई-वे बिल लागू करना ही होगा। इसके लिये सभी राज्यों को चार समूहों में बांटा गया है। माना जा रहा है कि ई वे बिल से कर चोरी रुकेगी और कर संग्रह बढ़ेगा। इससे वर्तमान में नकद में हो रहे कारोबार पर रोक लगेगी। इससे पहले एक फरवरी को जब ईवे बिल प्रणाली को लागू किया गया तब पूरी प्रणाली बैठ गई थी।
Source: Times Now Hindi
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