हिसुआ : विधायक जी अपनी जाति के यहां मुंडन कार्यक्रम में भी पहुंच जाते हैं पर हमारे घर नहीं आते
by Tanvi Katyal Molitics - Media of Politicsदेखिए सर हम लोग मुखिया जी के कहने पर पिछली बार कमल के फूल वाले अनिल बाबू को वोट दे दिए थे लेकिन पिछला पांच साल में वह इधर आए ही नहीं। पड़ोस वाले गांव में वह अपने जाति वाले लोगों के घर बच्चों के मुंडन में भी आ जाते हैं लेकिन इधर नहीं आते। क्या हम लोग इंसान नहीं है? क्या हम लोगों के भोटो (वोट) की भैल्यू (वैल्यू) नही हैं? यहां नेता लोग हम लोगों को बार बार ठग लेता है।
ये बाते नवादा जिले के हिसुआ विधानसभा के अंतर्गत आने वाले अकबरपुर प्रखंड के तेलभद्रो गांव के सजीवन रजवार ने कही। वहां मौजूद कई और लोगों ने भी सजीवन की बातों में हां में हां मिलाई। इन सभी की शिकायत सिर्फ विधायक अनिल सिंह के न आने से नहीं है बल्कि गांव की खस्ताहाल सड़क, अस्पताल व स्कूल को लेकर भी है। कहते हैं कि अनिल जी बाते बड़ी-बड़ी करते हैं काम सिर्फ अपने वर्ग के लोगों का करवाते हैं।
बिहार की पूरी राजनीति में जाति का फैक्टर सबसे अधिक महत्वपूर्ण रहा है। नवादा जिले की बड़ी संख्या भूमिहार वर्ग से है। जिले की हिसुआ सीट में अकेले 1 लाख 10 हजार से अधिक भूमिहार वोटर हैं। इसीलिए यहां पिछले 50 साल में भूमिहार वर्ग से ही विधायक चुने गए हैं। वह किस पार्टी से है इससे कोई मायने नहीं रखता। पिछले साल जदयू-राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा था तब कौशलेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया था, जातीय समीकरण साधने के बावजूद वह भाजपा के अनिल सिंह से करीब 10 हजार वोटो से हार गए थे।
2020 के चुनाव में हमने कई क्षेत्रों का दौरा किया, अकबरपुर मार्केट के बगल स्थित डीही गांव पहुंचे तो लोगों की भीड़ लग गई। हमने बात किया तो 65 वर्षीय सदानंद सिंह ने कहा, इस सीट पर भूमिहारों का ही चलेगा सर, राजद-कांग्रेस गठबंधन इस सीट पर किसी भूमिहार वर्ग का उम्मीदवार उतार दे तो उसकी जीत निश्चित हो जाएगी, क्योंकि इस वर्ग के लोग भी 15 साल से चल रहे नेतृत्व को लेकर परेशान हो गए हैं। लोगों को एकदम नया चेहरा चाहिए।
कांग्रेस से यहां सबसे मजबूत उम्मीदवार डॉ. जनार्दन प्रसाद सिंह बताए जाते हैं। शादीपुर के लोग बताते हैं कि यहां एक साफ छवि के उम्मीदवार की जरूरत है। अगर जनार्दन को गठबंधन उम्मीदवार बनाता है तो अनिल सिंह को कड़ी टक्कर मिलेगी। दिवंगत कांग्रेस नेता व इस सीट से 25 साल विधायक रहे आदित्य सिंह की बहु नीतू सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रही हैं लेकिन क्षेत्र में उनकी पहचान बेहद कम है इसलिए टिकट मिलने की संभावना कम ही नजर आती है। बाकी और भी उम्मीदवार टिकट के लिए लगे जरूर हैं लेकिन उन्हें टिकट मिलने की संभावना कम ही नजर आती है।
इस विधानसभा की बड़ी समस्याओं में खस्ताहाल सड़क और स्वास्थ्य व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा है। पिछले 40 साल से दो नेताओं के पास ही ये सीट रही लेकिन ये समस्या लगातार बनी हुई है। कई गांव में तो हालात ऐसे हैं कि अगर 50 मिनट पानी बरस दे तो उस गांव की सड़के गुम हो जाती हैं। रोजगार की समस्या सबसे विकट समस्या है। पुराने सारे नेताओं ने स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया करवाने की बात तो कही लेकिन कभी अपने वादे को पूरा नहीं कर सके। इसके पीछे बड़ी वजह बिहार की सरकारें भी रही हैं जिन्होंने लोगों के पलायन को कभी जरूरी मुद्दा ही नहीं समझा।
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Created on Sep 28th 2020 07:45. Viewed 285 times.