Jane Kaise Dekhte Hai Janam Kundli
भारत में जब भी किसी व्यक्ति का जन्म होता है, तो उस समय, स्थान और तिथि के आधार पर बनाई जाने वाली जन्म कुंडली (Janma Kundali) को जीवन का खाका माना जाता है। यह केवल ग्रह–नक्षत्रों की गणना नहीं है, बल्कि आपके जीवन के हर क्षेत्र — करियर, विवाह, स्वास्थ्य और भाग्य — का दर्पण है। परंतु बहुत से लोग नहीं जानते कि कुंडली देखने का सही तरीका क्या होता है। आइए, Vinay Bajrangi के ज्योतिषीय अनुभव के आधार पर समझते हैं कि जन्मकुंडली को कैसे देखा और पढ़ा जाता है।
जन्म कुंडली क्या होती है?
जन्म कुंडली आपके जन्म के समय आसमान में ग्रहों की स्थिति का चित्र है। इसमें बारह भाव (हाउस) और नौ ग्रहों की स्थिति होती है, जो मिलकर आपकी पूरी जीवन यात्रा का संकेत देते हैं।
- पहला भाव (लग्न भाव) – व्यक्तित्व, स्वभाव और स्वास्थ्य
- दूसरा भाव – धन, परिवार और वाणी
- सातवां भाव – विवाह और जीवनसाथी
- दसवां भाव – करियर और कर्मक्षेत्र
इन भावों में स्थित ग्रह यह बताते हैं कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में कैसा परिणाम मिलेगा।
कुंडली देखने का सही तरीका
कुंडली देखना केवल ग्रहों के नाम पढ़ना नहीं है, बल्कि यह एक गहन अध्ययन है जिसमें गणित, भावार्थ और अनुभव का समन्वय होता है। Dr. Vinay Bajrangi के अनुसार कुंडली देखने के लिए निम्न चरणों का पालन करना चाहिए —
- लग्न पहचानें:
सबसे पहले यह देखें कि कुंडली में कौन–सा लग्न है। लग्न आपकी पूरी व्यक्तित्व और जीवन दिशा निर्धारित करता है। - ग्रहों की स्थिति जानें:
हर ग्रह किस भाव में है और किस राशि में स्थित है — यह तय करता है कि वह ग्रह शुभ है या अशुभ। - दृष्टि और योग देखें:
ग्रह एक–दूसरे पर दृष्टि डालते हैं। इससे विशेष योग (राजयोग, धनयोग, विवाह योग) बनते हैं। - ग्रहों की दशा–महादशा:
जीवन में कौन–सा समय किस ग्रह का प्रभाव देगा, यह दशा
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