Mangal Dosh Kya Hai Shadi Per Iska Prabhav
भारतीय वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष (Mangal Dosha) या मांगलिक दोष (Manglik Dosha) को वैवाहिक जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ग्रह योग माना गया है। बहुत से लोग अपनी कुंडली बनवाते समय यह जानना चाहते हैं कि क्या वे मांगलिक हैं, और अगर हाँ, तो यह उनके विवाह को कैसे प्रभावित करेगा।
Dr. Vinay Bajrangi, जो एक प्रसिद्ध वैदिक ज्योतिषी हैं, बताते हैं कि मंगल दोष को लेकर बहुत सी भ्रांतियाँ हैं, जबकि इसका सही प्रभाव समझना जरूरी है।
मंगल दोष क्या होता है?
कुंडली में जब मंगल ग्रह (Mars) प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में स्थित होता है, तो व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष बनता है। इसे ही सामान्य भाषा में मांगलिक दोष कहा जाता है।
यह योग व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार, और सबसे अधिक वैवाहिक जीवन पर प्रभाव डालता है। मंगल को “उर्जा” और “आक्रोश” का ग्रह माना गया है। अगर यह ग्रह असंतुलित स्थिति में हो, तो यह वैवाहिक संबंधों में तनाव या देरी का कारण बन सकता है।
मंगल दोष का प्रभाव शादी पर कैसे पड़ता है?
ज्योतिष के अनुसार, मंगल दोष का असर हर व्यक्ति पर समान नहीं होता। इसका परिणाम कुंडली की स्थिति और अन्य ग्रहों की दृष्टि पर निर्भर करता है।
Dr. Vinay Bajrangi के अनुसार, मंगल दोष के विवाह पर प्रभाव निम्न हो सकते हैं –
- विवाह में विलंब – मांगलिक योग वाले जातक को विवाह में देरी का सामना करना पड़ता है।
- वैवाहिक तनाव – पति–पत्नी के बीच मतभेद या क्रोध की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
- संबंधों में अस्थिरता – यदि मंगल दोष का निवारण न किया जाए, तो वैवाहिक जीवन में स्थिरता की कमी हो सकती है।
- भावनात्मक असंतुलन – अत्यधिक संवेदनशीलता या आक्रोश विवाहिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
हालांकि, हर मांगलिक जातक का जीवन कठिन नहीं होता। यदि कुंडली में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो यह दोष निष्क्रिय भी हो सकता है।
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