हम कब तक विकासशील देश बने रहेगे , हम कब विकसित देश बनेगे ??

Posted by Arjun Singh
10
Sep 1, 2011
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समस्त देशभक्त भाइयो/बहनों,

१-हमारे देश में यह प्रचारित किया गया है की भारत बहुत ही गरीब देश है, यदि यह देश गरीब होता तो क्या जवाहर लाल नेहरू का कपडा पेरिस में धुलने जाता.

२- दुनिया भर के विदेशी आक्रमण क्या हमारी गुदड़ी चुराने के लिए हुए थे ,

३-चंगेज खान ने ४ करोड़ लोंगो की हत्या करके क्या अपने घोड़ो पर ईट और पत्थर लाद कर ले गया था.

४-सोमनाथ मंदिर को बार बार सोने से कौन भर देता था यदि हमारे पुरखे गरीब थे.

५-श्रम करने वाला कभी गरीब हो ही नहीं सकता है, हमारे किसान औसत १४ घंटे काम करते है, यह गरीब क्यों है,

६-आज हमारे देश से विदेशी कंपनिया आधिकारिक रूप से २३२००० करोड़ का शुद्ध मुनाफा लेकर वापस अपने देश जा रही है, बाकि सभी तरह का फर्जी हिसाब, उनका आयातित कच्चा माल का भुगतान , चोरी आदि जोड़ा जाय तो एह रकम २५,००,००० करोड़ सालाना बैठता है. क्या कोई गरीब देश इतना टर्न ओवर पैदा करवा सकता है.

७-हमारे देश से दवाओ का सालाना कारोबार १०,००,००० करोड़ का है, क्या यह गरीब देश का निशानी है,

८- हमारे देश में सालाना ६,००,००० करोड़ का जहर का व्यापर विदेशी कंपनिया कर रही है, क्या या गरीबी निशानी है,

९- हमारे देश में १०,००० लाख करोड़ खनिज पाया जाता है और इसका दोहन भी

विदेशी कंपनिया बहुत ही सस्ते भाव पर कर रही है, तो हम गरीब है,

१०- यदि हमारे बैंक में ५,००,०००/- रूपया है तो हमारे जेब में औसत

५०००/- रूपया से ज्यादा नहीं रहता है यानि पूरे पैसे का १ % तो फिर हमारी

सरकार ने २५ळाख़ः करोड़ का नोट क्यों छपवा रखा है और छपवाती ही जा रही

है, इसका प्रयोग कौन कर रहा है और कैसे कर रहा है,

११- जब हम रॉकेट और सैटेलाईट बना कर चाँद पर पहुच सकते है तो नोट छपने

का काम उन विदेशी कंपनियों को क्यों दिया गया है जो हमारे पीठ में छुरा

घोपकर उसी डिजाइन में थोडा सा न दिखने वाला परिपर्तन करके खरबों

रुपये का नकली नोट छापकर विदेशी खुफिया तंत्रों को बेचकर हमें कंगाल बना

रही है,

१२-यदि हम गरीब होते तो क्या अंग्रेज यहाँ खाक छानने आये थे. राबर्ट क्लाइव ९०० पानी वाले जहाज भरकर सोना चांदी हीरे सिर्फ कलकत्ता से कैसे ले गया था.

१३- यदि हम गरीब होते तो हमारे देश दे आजादी के बाद ४०० लाख करोड़ रुपया विदेशी बांको में कैसे जमा हो गया है.

१४- हमें शुरू से ही भीख मागने की आदत पद जाये , इसके लिए हमारे स्वाभिमानी बच्चो को स्कूल में ही कटोरा पकड़ाकर खरबों की लूट जारी है, मिड दे मील दे रहे है.

१५- हम काहिल हो जाए , इसके लिए नरेगा योजना में खरबों की लूट का पैसा कौन दे रहा है, हम गरीब इसे दे रहे है.

१६- राजस्व के नाम पर हर गली में शराब की दुकान खोली जा रही, औसत में यदि १०० रुपये की विक्री होती है तो सरकार सिर्फ २ रुपये मिलते है, क्या गरीब को शराब परोसी जाती है, भारत में ३५००० शराब की अधिकृत दुकाने है, यह लूट का पैसा क्या गरीब दे सकता है,

१७- यदि हम गरीब होते तो विदेशी यहाँ हर प्रकार की वास्तु फ्री में बेचने के लिए आते.

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