How to Get Beautiful Skin Naturally?(प्राकृतिक सौंदर्य प्राप्त करने के लिए क्या करें)
by Dr Vikram Chauhan Doctorआयुर्वेद के अनुसार
आज के समाज में लोगों द्वारा सामान्य रूप से देखी जाने वाली चीजों में से एक, किसी का चेहरा होता है। आयुर्वेद के अनुसार स्वच्छ और स्वस्थ चेहरा स्वस्थ शरीर की पहचान होता है। यदि त्वचा पर कोई परिवर्तन दिखाई देता है, तो यह केवल इसलिए नहीं है क्योंकि त्वचा की बाहरी परत में कुछ समस्या है यह इस लिए है क्योकि शरीर के अंदर कोई समस्या है, जिसकी वजह से चेहरा अनेक बिमारियों से ग्रसित हो जाता है ।इसलिए अपने खान पान और रहन सहन के ऊपर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए जिससे आप अपनी त्वचा और चेहरे को रोगों से मुक्त रख सकें ।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार चेहरे को साफ और सुंदर रखने के लिए केवल बीमारी के लक्षणों का जानना जरूरी नहीं होता ।सबसे जरूरी होता है बीमारी के होने की मुख्य वजह को जानना और तभी चेहरा स्वस्थ और सुंदर रहेगा ।
व्यस्त दिनचर्या के बीच, लोग शायद ही अपनी और अपनी त्वचा की देखभाल के लिए समय निकाल पाते हैं। आयुर्वेद में - प्रकृति से प्रेरित जीवन जीने की कला भी बताई गयी है, आयुर्वेद सिर्फ उपचार का नाम नहीं है। इस लेख में उन्ही प्राकृतिक आदतों के बारे में जानकारी प्राप्त करेगें जिनके अनुसरण से हम खुद को सुंदर और स्वस्थ रख सकते हैं ।
आयुर्वेद में त्रिदोष के संतुलन को देख कर शरीर की बीमारी का पता लगाया जाता है और उसका सही उपचार किया जाता है ताकि बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके ।
आयुर्वेद के अनुसार चेहरे के दूषित होने की वजह :
-आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार चेहरे की बीमारियां पाचन तंत्र के असंतुलन की वजह से होती । सबसे जरूरी इस बात का पता होना चाहिए कि किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर के अंदर विषाक्त पदार्थों का निर्माण तो नहीं हो रहा जिसकी वजह से पाचन तंत्र सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा ।आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, तो इसका असर बीमारी के रूप में चेहरे के ऊपर देखने को मिलता है।आयुर्वेद के अनुसार त्वचा के प्रकार :
हम सभी की त्वचा अलग-अलग प्रकार की होती है और अंदर और बाहर से सुंदरता बनाने के लिए सही खान पान का चयन करना आसान होता है।जिससे आप त्वचा रोगों से सुरक्षित रह सकते हैं ।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार मुख्य रूप से त्वचा के तीन प्रकार बताए गए हैं - वात, पित्त और कफ। ये तीनों शरीर के अंदर त्रि दोषों पर आधारित हैं। नीचे दी गयी जानकारी पर एक नज़र डालें कि क्या आप अपनी त्वचा के प्रकार को पहचानते हैं और पहचान कर उसको स्वस्थ रखने का प्रयास करें ।आयुर्वेद के अनुसार वात त्वचा :
वात त्वचा बनावट में पतली , सुखी , काफी नाजुक होती है और छूने पर ठंडी लगती है। इस प्रकार की त्वचा में शरीर के अंदर वात दोष के असंतुलित होने के कारण झुर्रियों का खतरा बना रहता है। संतुलन से बाहर होने पर, वात त्वचा अत्यधिक शुष्क या परतदार हो जाती है, या शुष्क एक्जिमा या त्वचा रोगों के अधीन हो सकती है। यदि आपके पास वात त्वचा है, तो आप को विशेष रूप से मानसिक तनाव के प्रति संवेदनशील रहना बहुत जरूरी हैं ।मानसिक तनाव त्वचा को थका हुआ और तनावग्रस्त दर्शाता है ।इसलिए इन बातो का ध्यान रखना चाहिए ।आयुर्वेद के अनुसार पित्त त्वचा :
पित्त त्वचा स्पर्श पर गर्म ,शुष्क और मध्यम मोटाई की होती है।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार ये गुण, गोरा या लाल रंग के बालों के साथ, गर्म, धधकते पित्त दोष से मेल खाते हैं। यदि आपके शरीर में पित्त दोष संतुलन से बाहर हैं तो पित्त त्वचा के प्रकार वाले व्यक्ति त्वचा पर चकत्ते, मुँहासे, धब्बे या सोरायसिस से पीड़ित हो सकते हैं। पित्त त्वचा आमतौर पर अधिक संवेदनशील होती है जिसकी वजह से त्वचा के ऊपर लाल चकत्ते और खुजली हो जाती हैआयुर्वेद के अनुसार कफ त्वचा :
कफ की त्वचा स्पर्श करने पर शांत होती है और बनावट नरम, मोटी होती हैअगर आपकी त्वचा रूखी है और आपके बाल घने, लहराते, तैलीय और काले हैं, तो आपके पास शायद कफ त्वचा है। संतुलन से बाहर होने पर, कफ की त्वचा अत्यधिक तेलीयपन, ब्लैकहेड्स, बढ़े हुए छिद्रों, फुंसियों से पीड़ित हो सकती है।इस लिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।आयुर्वेदिक सौंदर्य प्राप्त करने और त्वचा की देखभाल करने के लिए आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है :
रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना भी जरूरी :
आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा स्वस्थ और सुंदर बनी रहे तो इसके लिए आपको रात की नींद पूरी करना और सुबह सुर्योदय से पहले उठना लाभकारी होता है ।रात में ली गयी भरपूर नींद त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक साबित होती है ।खान पान का रखें ध्यान :
कुछ खाद्य पदार्थों के खराब संयोजन की वजह से शरीर में अपच और गैस का निर्माण हो सकता है। असंगत भोजन सेवन करना पाचन क्रिया को खराब कर सकता हैं जो आगे चलकर कई अलग-अलग बीमारियों को जन्म दे सकता है। अपनी त्वचा और स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए इन असंगत खाद्य पदार्थों से बचे रहना बहुत जरूरी है ।
- दूध के साथ फल का सेवन हानिकारक ।
- घी के साथ शहद का सेवन हानिकारक ।
- दूध के साथ मांस का सेवन हानिकारक ।
- खाना खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक का सेवन हानिकारक
हर्बल चाय का सेवन लाभकारी :
शरीर के लिए हाइड्रेशन आवश्यक है, इसलिए पूरे दिन पानी पीते रहें और बीच-बीच में हर्बल चाय भी पीते रहें। पाचन तंत्र को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए अदरक या नींबू जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग करके हर्बल चाय तैयार की जा सकती है क्योंकि चमकदार त्वचा के लिए स्वस्थ पाचन तंत्र महत्वपूर्ण माना जाता है।
फाइबर का सेवन लाभकारी :
आयुर्वेद के अनुसार जिन सब्जियों में फाइबर अधिक होते हैं, उन्हें पचने में अधिक समय नहीं लगता है। गाजर, सलाद पत्ता, मूली, शतावरी और ककड़ी जैसी सब्जियां सभी प्रकार की त्वचा के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं।इसलिए इन सब्जियों का सेवन अवश्य करना चाहिए ।
व्यायाम करना लाभकारी :
व्यायाम करना न केवल आपके शरीर के लिए अच्छा है, बल्कि यह सुंदर और चमकदार त्वचा के लिए भी महत्वपूर्ण है। व्यायाम रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है जो त्वचा की कोशिकाओं को पोषक तत्व प्रदान करता है और पसीने के रूप में शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। इससे त्वचा अंदर से भी दमकती है।
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Created on Sep 7th 2019 05:39. Viewed 439 times.