Dhanteras Puja
by Bani Raj Bloggerधनतेरस दिवाली से दो दिन पहले होता है। इस दिन बर्तन और सोना चांदी खरीदने की परंपरा है। इस रात को पूरे घर में दिए जलाए जाते है। कुछ लोगो को पता तो है कि धनतेरस पर सोना, चांदी, कोई नई चीज, बर्तन खरीदना चाहिए पर क्यों खरीदना चाहिए, ये बहुत कम लोग जानते है। आइए आज हम आपको बताए है कि धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं सोना और बर्तन। इतना ही लोग नए काम की शुरवात भी इस दिन करते है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलना शुभ मानते है।
इस दिन सोना और बर्तन खरीदने के पीछे एक पौराणिक कथा है। ऐसा माना जाता है एक राजा था हिम। उसके बेटे को ये श्राप मिला हुआ था कि वो अपनी शादी के चौथे दिन मृत्यु को प्राप्त होगा। शादी के बाद जब ये बात पत्नी को पता चली तो उसने अपने पति की जान बचाने के लिए एक युक्ति सोची। उसने अपने पति से चौथे दिन पूरी रात दिन जगे रहने की प्राथना की। अपने पति को सोने से रोकने के लिए वो दिन रात कहानियां सुनती रही और गीत गाती रही। इतना ही नही उन्होंने अपने दरवाजे पर सोना चाह्दी के अभुष्ण और कई कीमती चीजे रखी।
उसने अपने के आस पास बहुत सारे दिए भी जगाए। उस दिन यमराज सांप का रूप लेकर हिम के बेटे के प्राण लेने आए। सांप रूपी यम दिए और सोने चांदी की चमक और रौशनी से अंधे हो गए। इस वजह से वो घर में अन्दर नही आ पाए। वो रात भर अभुशानो पर बैठे रहे और राजकुमारी के गीत सुनते रहे। जब सुबह हुई तो यमराज हिम के बेटे के प्राण लिए बिना ही चले गए क्योकि मृत्यु का समय बीत गया था। इस तरह राजकुमारी ने अपने पति के प्राण बचा लिए।
इस दिन के पीछे की कहानी तो अपने जान ली। आइए अब जाने है धनतेरस पूजन विधि। धनतेरस की पूजा पूरी श्रधा से करने से मनोकामना पूरी होती है।
धनतेरस पूजन विधि - Dhanteras Puja Vidhi
- सबसे पहले मंदिर साफ़ करे और वहां पर भगवान धन्वंतरि और मिटटी से बने हाथी की स्थापना करे।
- अब ताम्बे या चांदी की आचमनी ले और उससे जल आचमन करे।
- अब गणेश जी का आह्वान करे और पूजा करे।
- अब अपने हाथ में फुल और अक्षत ले और धन्वंतरि भगवान का ध्यान करे।
अब ये मन्त्र बोले -
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान
दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो
धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः
ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि।।।
अब फूल चढ़ाए और जल आचमन करे।
अब जल के छींटे तीन बार दे और ये मन्त्र बोले
पाद्यं अर्घ्यं आचमनीयं समर्पयामि।
अब ये मन्त्र बोले -
ॐ धनवन्तरयै नमः
:स्नानार्थे जलं समर्पयामि
अब भगवान् को पंचामृत से स्नान कराना है और साथ ही ये मन्त्र बोलना है –
मंत्र:
ॐ धनवन्तरायै नमः
पंचामृत स्नानार्थे पंचामृत समर्पयामि |
अब फिर से जल के छींटे लगाए और मन्त्र बोले –
पंचामृत स्नानान्ते शुद्धोधक स्नानं समर्पयामि ||
अब भगवान पर खुशब वाला इत्र छिड़कें और मन्त्र बोले -
सुवासितं इत्रं समर्पयामि
अब भगवान् को मौली और वस्त्र अर्पित करें और मन्त्र बोले –
वस्त्रं समर्पयामि
- अब भगवान् को लाल चन्दन से या रोली से तिलक करे।
- अब इत्र छिडके और कहे - गन्धं समर्पयामि
- अब चावल चढ़ाए और कहे - अक्षतान् समर्पयामि
- अब फूल चढ़ाए और कहे - पुष्पं समर्पयामि
- अब अगरबत्ती घुमाए और कहे - धूपम आघ्रापयामि
- अब जलते दिए से पूजा करे और कहे - दीपकं दर्शयामि
- अब प्रसाद अर्पण करे और प्रसाद के चारो और पानी घुमाए और कहे -
- नैवेद्यं निवेद्यामि
- अब जिस स्थान पर आप बैठे है उस स्थान पर जल छिडके और कहे - आचमनीयं जलं समर्पयामि
- अब भगवान् को फल अर्पित करे और चारो और जल घुमाए और कहे - ऋतुफलं समर्पयामि
- अब पान अर्पित करे और कहे - ताम्बूलं समर्पयामि
- अब जो भी सोना या चादी की चीज खरीदी है वो उनको अर्पित करे। अगर आपके पास नही है तो आप घर में रखे पैसे चढ़ाए।
- अब कपूर जलाए और कहे - कर्पूर नीराजनं दर्शयामि
- अब धन्वंतरि भगवान् से कहे – ये देव समस्त मानव जाति को दीर्घायु दे और पूरे परिवार को आरोग्य बनाए रखे।
- शाम को घर के दरवाजे के बाहर अनाज की दो ढेरी लगाए और उस पर दो दिए जलाए। अब यम जी का ध्यान करे और मन्त्र कहे -
- मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह | त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यजः प्रीयता मिति ||
- अब कुबेर मन्त्र कहे - ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधि पतये धनधान्य समृद्धि में देहि दापय दापय स्वाहा।।
- आखिर में लक्ष्मी माँ, कुबेर जी, गणेश महाराज, हाथी और भगवान् धन्वंतरि की पूजा करे और आरती करे।
इस आरती के बाद सबको प्रसाद दे और पूजा संपन्न करे।
Sponsor Ads
Created on Oct 10th 2019 05:12. Viewed 389 times.