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योनि खुजली के ये कारण हैं:

by Mahendra Kumar marketer

दाद त्वचा की ऊपरी परत पर होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी ही आसानी से फैल सकता है। दाद को चिकित्सकीय भाषा में टिनीया (Tinea) कहते हैं। यह एक परतदार त्वचा पर गोल और लाल चकत्ते के रूप में दिखाई देता है। इसमें खुजली एवं जलन होते हैं। यह बड़ी ही आसानी से संक्रमित व्यक्ति की चीजें या कपड़े उपयोग करने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। क्या आपको पता है दाद खाज खुजली होने का कारण क्या है, दाद के लक्षणों की पहचान कैसे की जा सकती है। दाद खाज खुजली होने पर आपको क्या घरेलू उपचार करना चाहिए। दाद की आयुर्वेदिक दवा कौन-कौन सी है। यहां खुजली दूर करने के लिए कई घरेलू नुस्खे (khujli ke upay) बताए जा रहे हैं ताकि आप इसका पूरा लाभ ले पाएं।


दाद खाज खुजली त्वचा की एक बीमारी है। यह फंगल संक्रमण के कारण होता है। दाद के कारण रोगग्रस्त व्यक्ति को काफी परेशानी का सामाना करना पड़ता है इसलिए यहां दाद खाज खुजली को दूर करने के लिए घरेलू उपाय ((khujli ke upay)) बताए जा रहे हैं।


दाद (रिंगवार्म) क्या होता है? (What is RingWorm in Hindi?)

अत्यधिक मीठा, नमकीन, बासी भोजन, दूषित आहार और साफ-सफाई की कमी के कारण कफ और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं। इससे त्वचा पर खुजली, जलन और लालिमा जैसे लक्षण उत्पन्न होकर दाद का रूप ले लेते हैं। दाद खाज खुजली चार प्रकार के होते हैं-


टीनिया क्रूरीस (Tinea cruris)– यह जोड़ो, आंतरिक जांघे और नितम्बों के आस-पास की त्वचा पर होता है।

टीनिया कैपीटीस (Tinea capitis)– यह दाद सिर की त्वचा (Scalp) में होता है, जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह प्रकार सामान्य रूप से स्कूलों में फैलता है। इससे सिर के कुछ हिस्सों में गंजापन दिखने लगता है।

टीनिया पैडिस (Tinea Paedis)– यह दाद पैर की त्वचा पर होता है। सार्वजनिक स्थानों पर नंगे पाँव जाने से इसका खतरा अधिक रहता है।

टीनिया बार्बी (Tinea Barbae) -यह चेहरे की दाढ़ी वाले क्षेत्र और गर्दन पर होता है। इसके कारण कई बार बाल टूटने लगते है। अक्सर यह नाईं के पास दाढ़ी कटवाने जाने के दौरान होता है इसलिए इसे बारबार्स इट्च (Barbar’s itch) भी कहते है।

दाद एक तरह का फंगल इंफेक्शन होता है जो एक तरह के फंगस के संक्रमण से होता है, इसमें खुजली एवं जलन होती है तथा यह गोल चकत्तो के रूप में होते है। वहीं एक्जिमा में भी तवचा पर खुजली और लाल चकत्ते हो जाते है परंतु यह फंगल इंफेक्शन नहीं है। एक्जिमा के पीछे का सही कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं है परंतु कुछ ऐसे ट्रिगर है जो एक्जिमा को शुरू या खराब करने में जिम्मेदार होते है जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति एलर्जी जैसे-डेयरी उत्पाद, खट्टे भोजन, मछली, अंडे, मसालेदार भोजन आदि या फिर किन्हीं विशेष पदार्थों के सम्पर्क में आने से जैसे-धूल के कण, पराग, बैक्टिरीया, वायरस रूली आदि। दूसरी तरफ एक्जिमा अनुवांशिक भी होता है, दोनों माता-पिता में से यदि किसी एक को भी यह समस्या रहती है तो सन्तान में भी एक्जिमा होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

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दाद (रिंगवार्म) होने के कारण (Ringworm Causes in Hindi)

दाद फंगल के संक्रमण के कारण होता है, यह फफूंदी जैसा परजीवी बाहरी त्वचा की कोशिकाओं में पनपता है। यह बड़ी ही आसानी से तथा कई तरीकों से फैल सकता है। अगर किसी जानवर को दाद हुआ है तो उस जानवर को स्पर्श करने से भी दाद का संक्रमण मनुष्ण के शरीर में फैल सकता है। मनुष्य द्वारा किसी संक्रमित वस्तु को छूने से भी दाद का संक्रमण उनमें फैल सकता है जैसे कंघी, ब्रश, कपड़े, तौलिया, बिस्तर आदि।

Ringworm symptoms

दाद (रिंगवार्म) के लक्षण (Ringworm Symptoms in Hindi)

दाद होने पर खुजली होने के अलावा और भी लक्षण होते हैं-


दाद वाली जगह पर खुजली एवं जलन दोनों हो सकता है।

यह लाल चकत्ते के रूप में दिखाई देता है।

दाद वाले चकत्ते बाहरी तरफ से किनारों पर लाल होते है।

यह गोल चकत्तों के रूप में होते है तथा ऊपर की और उभरा हुआ होता है।

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दाद (रिंगवार्म) से कैसे बचें? (How to Prevent from Ringworm?)

दाद-खाज और खुजली से बचने के लिए अपने आहार और जीवनशैली में ये सारे बदलाव लाने ज़रूरी हैं। अपने आहार में निम्न सारे आहार शामिल करने से फंगल संक्रमण होने का खतरा कम होता है-


विटामिन-ई से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसकी मदद से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है जिसकी मदद से शरीर ल्यूकोसाइट्स (Leukocytes) का उत्पादन करता है तथा फंगस को नष्ट करने में मदद करता है। विटामिन-ई के लिए जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल, अखरोट, मसूर की दाल, पालक, बादाम, तिल आदि का सेवन (khujli ke upay) करें।

भोजन में लौंग का प्रयोग करें। इसके सेवन से फंगल संक्रमण दूर होता है।

साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग किए गए कपड़े, वस्तुएँ आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे पालतु जानवरों से भी दूर रहना चाहिए जो संक्रमित होते हैं।

अधिक पसीने से परहेज रखना चाहिए इसके लिए एंटी-फंगल का इस्तेमाल करें।

साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग की हुई वस्तुओं को प्रयोग नहीं करना चाहिए।


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About Mahendra Kumar Junior   marketer

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Joined APSense since, February 11th, 2017, From Osian, India.

Created on Jul 21st 2021 08:53. Viewed 259 times.

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