salman convicted in black buck poaching case know who is bishnoi community
by Neeraj Bisaria SEO Exec.जानें कौन है सलमान को सजा दिलाने वाला बिश्नोई समाज
काला हिरण मामले में जोधपुर के एक कोर्ट ने सलमान खान को दोषी करार दिया है। इस मामले में सलमान के अलावा ऐक्टर सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे भी आरोपी थे लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। सलमान खान को सजा दिलाने में बिश्नोई समुदाय ने अहम भूमिका निभाई है। आइये आज जानते हैं कौन हैं बिश्नोई समुदाय...
कौन हैं बिश्नोई
बिश्नोई समुदाय दरअसल 29 नियमों का पालन करता है। 29 नियमों का पालन करने के कारण ही बिश्नोई शब्द 20 (बीस) और 9 (नौ) से मिलकर बना है। 1485 में गुरु जम्भेश्वर भगवान ने इसकी स्थापना की थी। वन्यजीवों को यह समाज अपने परिवार जैसा मानता है और पर्यावरण संरक्षण में इस समुदाय ने बड़ा योगदान दिया है। इस संप्रदाय के लोग जात-पात में विश्वास नहीं करते हैं। इसलिए हिन्दू-मुसलमान दोनों ही जाति के लोग इनको स्वीकार करते हैं। जंभसार लक्ष्य से इस बात की पुष्टि होती है कि सभी जातियों के लोग इस संप्रदाय में दीक्षित हुए। उदाहरण के लिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, तेली, धोबी, खाती, नाई, डमरु, भाट, छीपा, मुसलमान, जाट एवं साईं आदि जाति के लोगों ने मंत्रित जल लेकर इस संप्रदाय में दीक्षा ग्रहण की।
हिरण से संबंध
बिश्नोई समाज की महिलाएं हिरण के बच्चों को अपना बच्चा मानती हैं। यह समुदाय राजस्थान के मारवाड़ में है। प्रकृति को लेकर इस गांव में बेशुमार प्रेम है, खासकर हिरण को लेकर। यहां के पुरुषों को जंगल के आसपास कोई लावारिस हिरण का बच्चा या हिरण दिखता है तो वह उसे घर पर लेकर आते हैं, बच्चों की तरह उनकी सेवा करते हैं। यहां तक कि महिलाएं अपना दूध तक हिरण के बच्चों को पिलाती हैं। ऐसे में एक मां का पूरा फर्ज वे निभाती दिखती हैं। कहा जाता है कि पिछले 500 सालों से यह समुदाय इस परंपरा को निभाता आ रहा है।
पर्यावरण प्रेम
इस समाज के पर्यावरण प्रेम को इस उदाहरण से समझा जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1736 में जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में बिश्नोई समाज के 300 से ज्यादा लोगों ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान दे दी। बताया जाता है कि राज दरबार के लोग इस गांव के पेड़ों को काटने पहुंचे थे, लेकिन इस समुदाय के लोग पेड़ों से चिपक गए और विरोध करने लगे। इस समाज में उन 300 से ज्यादा लोगों को शहीद का दर्जा दिया गया है। इस आंदोलन की नायक रहीं अमृता देवी जिनके नाम पर आज भी राज्य सरकार कई पुरस्कार देती है।
पूजा स्थल
राजस्थान में जोधपुर तथा बीकानेर में बड़ी संख्या में इस संप्रदाय के मंदिर और साथरियां बनी हुई हैं। मुकाम नामक स्थान पर इस संप्रदाय का मुख्य मंदिर बना हुआ है। यहां हर साल फाल्गुन की अमावस्या को एक बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं। इस संप्रदाय के अन्य तीर्थस्थानों में जांभोलाव, पीपासार, संभराथल, जांगलू, लोहावर, लालासार आदि तीर्थ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इनमें जांभोलाव बिश्नोईयों का तीर्थराज तथा संभराथल मथुरा और द्वारिका के सदृश माने जाते हैं। इसके अलावा रायसिंह नगर, पदमपुर, चक, पीलीबंगा, संगरिया, तन्दूरवाली, श्रीगंगानगर, रिडमलसर, लखासर, कोलायत (बीकानेर), लाम्बा, तिलवासणी, अलाय (नागौर) एवं पुष्कर आदि स्थानों पर भी इस संप्रदाय के छोटे -छोटे मंदिर बने हुए हैं।
काला हिरण को जानें
काला हिरण भारत, नेपाल और पाकिस्तान में पाई जाने वाली हिरण की एक प्रजाति है। यह मूलतः भारत में और पाया जाता है, जबकि बांग्लादेश में यह विलुप्त हो गया है। 20वीं सदी के दौरान अत्यधिक शिकार, वनों की कटाई और निवास स्थान में गिरावट के चलते काले हिरण की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। भारत में 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसूची I के तहत काले हिरण के शिकार पर रोक है।
Source:navbharattimes
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Created on Apr 10th 2018 05:02. Viewed 409 times.