जब अकबर बोले, बीरबल हमारे स्वर्गीय पिता से मिलकर आओ
बीरबल एक बुद्धिमान मंत्री था। अकबर के दरबार में सभी लोग उससे चिढ़ते थे क्योंकि बादशाह, बीरबल की हर समय तारीफ करते रहते थे। एक दिन दरबार के कुछ मंत्रियों ने राज्य के नाई के साथ मिलकर बीरबल को अपने रास्ते से हटाने की एक योजना बनाई।मौका पाते ही एक दिन नाई ने अकबर से कहा, महाराज आपको अपने पिता हुमायूं के लिए कुछ खास करना चाहिए। बादशाह अकबर ने दुखी होते हुए कहा, पर कैसे? नाई ने तुरंत कहा, महाराज मैं एक ऐसी विद्या जानता हूं जिससे जीवित व्यक्ति को स्वर्ग में आपके पिता के पास भिजवाया जा सकता है। आपका जो भी सबसे ज्यादा विश्वासपात्र व्यक्ति है, वही यह काम कर सकता है। नाई की बात सुनकर अकबर के मन में सबसे पहले बीरबल का ही नाम आया। उन्होंने तुरंत बीरबल को मिलने का संदेश भिजवाया।
बीरबल से मिलने के बाद अकबर ने उनसे कहा, बीरबल हमें अपने अब्बा हुजूर की बहुत याद आती है, हम उनके लिए कुछ खास कर भी नहीं पाए, तुम जाओ और जाकर उनका हाल-चाल जानकर आओ। बीरबल ने हाथ जोड़कर कहा, बादशाह सलामत लेकिन हम कैसे उनसे मिल सकते हैं? तब अकबर ने कहा, तुम उसकी चिंता न करो बीरबल हम एस ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो अपनी विद्या के बल से आपको हमारे पिता के पास पहुंचा देगा। बीरबल ने पूछा, कौन है वह? तो अकबर ने बड़े गर्व से नाई के बार में बता दिया। बीरबल झुके और बोले, महाराज आपकी आज्ञा का पालन होगा बस मुझे एक महीने का समय दीजिए। महाराज ने खुश होकर हामी भर दी।
एक महीने के बाद जब बीरबल आए तो सारे दरबारी बड़े खुश थे। उनके रास्ते का सबसे बड़ा कांटा हटने जा रहा था वह भी बिना कोई मेहनत किए। बीरबल के लिए समाधि तैयार की गई। बीरबल को लेटाकर नाई ने कुछ झूठे मंत्र पढ़े। और उसके बाद सब अपने घठर चले गए। सबको लगा कि बीरबल तो बस यूं ही बहुत आसानी से मारा गया। दरबार के मंत्रियों ने खुश होकर नाई को मुंहमांगी रकम दे दी।
इस घटना के 5 दिन बाद अचानक खबर आई कि बीरबल स्वर्ग से लौट आए हैं और अकबर के लिए हुमायूं का संदेश लेकर आए हैं। सारे मंत्री तुरंत दरबार में पहुंचे, किसी को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। बीरबल को तो दफना दिया गया था फिर वह वापस कैसे आ गए? ये संदेश वाला क्या माजरा है? बीरबल ने अकबर को झुककर प्रणाम किया और बोले, महाराज, आपके पिताजी स्वर्ग में बेहद खुश हैं, उनके पास वहां सब कुछ है, बस एक नाई नहीं है। महाराज, आप वहां नाई को भेज दें तो, उन्हें आराम मिल जाएगा।
बीरबल की बात सुनकर, नाई और सारे मंत्री घबरा गए लेकिन अकबर बड़े खुश हुए। अकबर ने कहा, ठीक है बीरबल, हम तुरंत नाई को वहां भेजते हैं। ये सुनते ही नाई बीरबल के पैरों में गिर गया। उसने अपनी गलती मानी और महाराज को सारा किस्सा सुना दिया। बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, महाराज! मुझे ये बात मालूम थी कि एक बार स्वर्ग में जाकर कोई वापस नहीं आ सकता। मुझे इस साजिश का आभास था। मैं बस नाई को यह सबक सिखाना चाहता था कि दूसरों के लिए गड्ढे खोदने वाला इंसान खुद ही उस गड्ढे में गिर जाता है।
सबको सारी बातें समझ आ गईं पर एक बात सबके दिमाग में खटक रही थी। अकबर ने पूछा, बीरबल तुम्हें तो कब्र में दफना दिया गया था फिर तुम यहां कैसे? बीरबल ने कहा, महाराज! मैंने आपसे एक महीने का वक्त मांगा था, इसी दौरान मैंने समाधि की जगह के नीचे सुरंग खुदवा दी, जिसका रास्ता सीधे दूसरे शहर में जाकर खुलता था। मैं सुरंग के जरिए बाहर निकल आया और इस तरह मैंने अपनी जान बचाई।
Source: Navbharattimes
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