Jamia Protests what students want from administration
by Tanvi Katyal Molitics - Media of Politics“उन्होंने हमारी लाइब्रेरी में घुसकर हिंसा की, हमने सड़क पर लाइब्रेरी बना ली। आप कभी भी जाकर देखिए सड़क पर आंदोलन के बीच स्टूडेंट्स पढ़ते हुए दिख जाएंगे। वो हमें मार-पीट सकते हैं पर हमारे हौसले को नहीं तोड़ सकते। पढ़ाई और लड़ाई साथ साथ चलेगी।” - जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के सामने चल रहे आंदोलन के दौरान जामिया के एक छात्र ने यह बात कही।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर में बच्चों के ऊपर बर्बर पुलिस अत्याचार की घटना को एक महीने से अधिक समय हो गया है। लेकिन इस घटना में न कोई एफआईआर लिखी गई है न ही कोई कार्रवाई हुई है। विवि प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस ने FIR नहीं लिखी है।
विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिशें नाकाफी
जामिया कोर्डिनेशन कमेटी की सफूरा ने कहा कि FIR दर्ज़ कराने के लिए जितनी कोशिशें विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिशें नाकाफी थीं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने 17 तारीख़ को पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज़ कराने को लेकर स्टूडेंट्स को आश्वस्त किया।
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बकौल सफूरा, वाइस चांसलर ने कहा कि पुलिस FIR दर्ज़ नहीं कर रही है। इस कारण से ई-मेल के ज़रिए भी शिकायत भेजी जाएगी और ऐसा न होने पर मजिस्ट्रेट के ज़रिए पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज़ करवाई जाएगी। लेकिन 17 दिसंबर से 6 जनवरी तक इस संदर्भ भी कुछ भी ठोस नहीं हुआ।
विश्वविद्यालय प्रशासन खुद क्यों नहीं आया छात्रहित के समर्थन में?
चलिए मान लेते हैं कि विवि प्रशासन की कोशिशों के बावजूद पुलिस ने जानबूझकर FIR नहीं लिखी। लेकिन फिर क्या विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं बनती कि खुद आगे आकर स्टूडेंट्स से बातचीत करे और उन्हें स्थितियों से अवगत कराए। आखिर क्यों स्टूडेंट्स को सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ता है?
JCC के एक अन्य सदस्य श्रेयस कहते हैं कि 14 दिसंबर को हमला केवल छात्र-छात्राओं पर नहीं हुआ था बल्कि ये हमला पूरे विश्वविद्यालय पर हुआ। इसलिए होना ये चाहिए था कि प्रशासन खुद इस हमले के खिलाफ खड़ा होता।
परीक्षाओं को क्यों खींचा गया लंबा?
पुलिस की बर्बर कार्रवाई और जामिया कैम्पस में हिंसा के कारण यूनीवर्सिटी को 6 दिसंबर तक के लिए बंद कर दिया गया। नतीज़तन, छात्र-छात्राएँ परीक्षा नहीं दे पाए। 6 दिसंबर को जब विश्वविद्यालय खुला तो परीक्षा जल्द कराने की मांग की गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षाओं को पुनर्निर्धारित किया।
JCC के एक सदस्य ने बताया कि जो परीक्षाएँ दस दिनों के अंदर खत्म हो सकतीं थीं, उन्हें जान-बूझकर लंबा खींचा गया है। प्रशासन की ओर से परीक्षाओं को लंबा खींचने की वजह बताई गई विवि परिसर में हिंसा के बाद पैदा हुई असामान्य स्थिति।
विवि प्रशासन और वाइस चांसलर क्यों नहीं करते संवाद?
लेकिन स्टूडेंट्स का कहना है कि इन असामान्य स्थितियों से निबटने के लिए बेहतर ये होता कि विवि प्रशासन से जुडे़ लोग स्टूडेंट्स तक पहुँचने की कोशिश करते। संवाद के माध्यमों को खुला रखते और चिंताओं को सुनकर उन्हें दूर करने की कोशिश करते।
कुलपति की भूमिका के बारे में बोलते हुए सफूरा ने सवाल उठाया कि क्या इन स्थितियों में उन्हे छात्र-छात्राओं से सीधे संवाद स्थापित नहीं करना चाहिए? क्यों कुलपति की जगह अन्य प्रशासक उनके प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं?
विश्वविद्यालय के फैसलों में शामिल होंगे स्टूडेंट्स!
खैर इन स्थितियों के बाद जामिया कोर्डिनेशन कमेटी विश्वविद्यालय के फैसलों में स्टूडेंट्स की सहभागिता की बात करती हैं। उन्हें लगता है कि स्टूडेंट्स का पक्ष जाने बिना उनके बारे में फैसला नहीं लिया जाना चाहिए। और उनके वाज़िब सवालों को एड्रेस किया जाना चाहिए।
विश्वविद्यलय में हुई हिंसाओं के विरोध में बोलते हुए जामिया के एक छात्र सिराज ने बताया कि हिंसा और नफ़रत की आग सभी को जलाएगी। आज नहीं तो कल सभी की बारी आएगी। ये वक्त है करो या मरो का। संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है।
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Created on Jan 20th 2020 00:24. Viewed 267 times.