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Benefits Of Sleeping At Late Night

by Neeraj Bisaria SEO Exec.

देर रात तक जगने और सुबह जल्दी उठने को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। कई ऐक्सपर्ट्स का यह मानना है कि सोने के लिए दिन और रात, घड़ी के अनुसार नहीं, बल्कि हमारे अपने लाइफस्टाइल से तय होते हैं। ऐसे में बस एक रूटीन बनाए रखना जरूरी होता है।

सायकायट्रिस्ट का कहना है, 'बहुत सी स्टडीज कहती हैं कि रात में जगकर काम करने से आपकी बुद्धिमता और कल्पनाशीलता बढ़ती है। ये जरूरी है कि आप समझें ये ज्यादातर जन्मजात होता है। बुद्धिमान, कल्पनाशील व्यक्ति ज्यादातर सामाजिक नियमों और प्रथाओं के विरोधी होते हैं। उसी तरह सुबह जल्दी उठने वाले भी ज्यादा सक्रिय और आशावादी हो सकते हैं, इसलिए नहीं कि वह सुबह समय पर उठते हैं बल्कि इसलिए क्योंकि जेनेटिकली उनका झुकाव इस तरफ होता है। अपनी बॉडी को नियमानुसार सोने की आदत डालें। ये आपकी इच्छा के साथ सहज होता है। फिर भी खुद को ज्यादा बुद्धिमान न बनाएं और आपकी अच्छी नींद के साथ खिलवाड़ करने से बचें, ये आप पर अच्छे की जगह बुरा प्रभाव डाल सकता है।' पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. जयालक्ष्मी कहती हैं, 'आपकी बॉडी के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप बिना बाधा के लगातार नींद पूरी करें। रुकावट भरा नींद का चक्र आपकी अच्छी नींद में बाधक हो सकता है। बेशक कुछ घंटे आपके प्रयोग में आ सकते हैं लेकिन ऐसी नींद आपको तरोताजा और जोश से भरा हुआ नहीं बना सकती। गहरी नींद सोने के तीसरी अवस्था होती है जोकि ज्यादातर लोग लगभग कोशिश करके भी 4 घंटे तक ले पाते हैं। नींद का यह समय आपके शरीर को रिपेयर करने और रिचार्ज करने के लिए औषधि का काम करता है। इस समय के दौरान आपके आर्गन रसायन से मुक्त होते हैं, आपकी किडनी रक्त को साफ करती है, आपका शरीर सेल्स को बदल देता है और आपके मसल्स के नुक्सान की भरपाई हो जाती है।'

यूं तो तमाम डॉक्टर्स रात में देर तक जगने के सेहत पर पड़ने वाले नुकसान के बारे में आए दिन बात करते रहते हैं। लेकिन इन दिनों एक बार फिर सोने के समय को लेकर एक थिअरी पर बहस छिड़ चुकी है जिसके अनुसार, देर से जगने वाले लोग अगर नियम से एक ही वक्त पर सोते हैं, तो उन्हें इसका ज्यादा नुकसान नहीं होता है। लेयने लामबर्ग और माइकेल स्मोलेनस्की ने अपनी किताब 'द बॉडी क्लोक गाइड टू बैटर हेल्थ' में बताया, 'लगभग 20 प्रतिशत लोग रात को जगने वाले वर्ग में रखे जा सकते हैं, और 10 पर्सेंट लोग सच में खुशहाल या समय पर उठने वाले हो सकते हैं। वे सभी इन दो किनारों के बीच में कहीं भी गिने जा सकते हैं। वे या तो दिन में या फिर रात में जागने वाले हो सकते हैं। यह चयन आमतौर पर उनके जेनेटिक मेकअप पर आधारित होता है, साथ ही यह बेहद मुश्किल है कि किसी एक को दूसरे में बदल दिया जाए।'

इस बहस के पीछे जो थिअरी काम कर रही है, उसके अनुसार, पहले के जमाने में बहुत से लोगों ने पाया कि अपनी नींद को सूरज के हिसाब से मैनेज करना आसान होता है। दृश्यता की कमी, सूर्यास्त की स्थिति, मतलब आपके पास रात में सोने के अलावा बहुत कम काम होता है। मगर बिजली के आविष्कार ने सब बदल दिया है। अब यह मुमकिन है कि आप समय पर जल्दी उठ पाएं और अंधेरे में भी अच्छे तरीके से काम कर सकें और यदि जरूरत हो तो यह देर रात तक जारी भी रह सकता है। इस बदलाव के बाद ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो देर रात तक जगकर काम करते हैं और दुनिया में लगातार ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।

इवेंट मैनेजर आरती कहती हैं, 'मुझे देर रात तक जगना ही पड़ता है, कई बार इवेंट की वजह से, तो कई बार मीटिंग्स और बाकी कामों की वजह से। फिर अब तो यह एक नियम बन गया है और रात को 1 बजे से पहले तो नींद आती ही नहीं है। अब अगर हम देर तक जग रहे हैं, तो देर से उठते भी हैं। लेकिन हम इसे नियमित रूप से फॉलो करते हैं, तो ऐसे में अभी तक तो मुझे सेहत से जुड़ी किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा है।' वहीं राइटिंग का काम करने वाले शरद रोज सुबह 3 बजे सोने के लिए घर जाते हैं। वह शुरू से लिखने को काम रात में करते आए हैं। वह बताते हैं, 'रात को वह वक्त होता है, जब आप भटकाव से बचते हैं और ये मेरे लिए सबसे आसान बात है। रात की कमी को पूरा करने के लिए मैं 6 घंटे सोने के बाद सुबह 9 बजे तक उठता हूं।'

Source: navbharattimes.indiatimes.com


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About Neeraj Bisaria Senior   SEO Exec.

342 connections, 0 recommendations, 945 honor points.
Joined APSense since, May 15th, 2013, From Noida, India.

Created on May 1st 2018 02:59. Viewed 474 times.

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