अनसिक्योर्ड लोन नहीं चुकाने पर क्या होता है?
अनसिक्योर्ड लोन यानी बिना कुछ गिरवी के बदले लोन। लोन दो तरह के होते है, 1- सिक्योर्ड लोन 2- अनसिक्योर्ड लोन। सिक्योर्ड लोन के बदले उतनी रकम के बराबर कुछ सामान या पेपर जैसे, खेत के पेपर, दुकान के पेपर, घर के पेपर, जूलरी इत्यादि कैसी चीजों में कोई एक चीज गिरवी रखना होता है।
जबकि लोन में ऐसी कोई व्यवस्था नही है, इस तरह के लोन बिना कुछ गिरवी रखे भी प्रदान किये जाते है। अनसिक्योर्ड लोन अधिकतर गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) कंपनियां ही प्रदान करतीं हैं।
सभी कारोबारियों की चाहत होती है कि उनके कारोबार दिन – प्रतिदिन सफलता प्राप्त करें। बिजनेस के सफलता के लिए हर तरह के प्रयास करता है। जरूरत पड़ने पर बिजनेस लोन भी लेता है।
लेकिन, कभी – कभी किन्हीं कारणों से लोन की रकम वापस नही हो पाती। आइए इस ब्लॉग में समझते है कि जब लोन की रकम वापस नही हो पाती तो उस कंडिशन में क्या – क्या हो सकता है?
लोन न चुकाने पर क्या होता है
लोन देने वाले बैंक/कंपनियां तय समय उनको लोन वापस नही मिलता तो, फिर वह लीगल एक्शन करना शुरू कर देती हैं। लीगल एक्शन कई तरह के हो सकते है। जैसे लोन कई तरह के होते है ठीक उसी प्रकार लोन न जमा करने पर एक्शन भी अलग –अलग होते है।
किन्हीं कारणों के अगर कारोबारी अनसिक्योर्ड लोन चुकाने में असफल रह जाता है तो सबसे पहले उसे लीगल नोटिस भेजी जाती है। अगर क़ानूनी नोटिस पर कोई जवाब नहीं मिलता तो दो महीने बाद फिर से एक लीगल नोटिस भेजी जाती है।
इस तरह की कुल 7 चेतावनी नोटिस लोन लेने वाले के घर पर भेजी जाती है। फिर भी अगर किसी तरह का कोई उत्तर नहीं मिलता तो 3 नोटिस लोन सेटलमेंट के लिए भेजी जाती है।
अगर किसी भी नोटिस का कोई उत्तर नही मिलता तो, फिर लोन देने वाले बैंक/कंपनी आपसी समिति में यह निर्णय लेते है कि उनको किसके खिलाफ क्या एक्शन लेना है।
यह एक्शन अकाउंट होल्डर के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा कर कुर्की कराने के आदेश लेने के रूप में हो सकता है। दूसरा एक्शन यह भी संभव है कि अकाउंट होल्डर (अकाउंट जिसके भी नाम पर हो, बिजनेस के नाम पर या व्यक्ति के नाम पर) उसकी घर की नीलामी करने के तरफ आगे बढ़ सकते है।
यहां यह ध्यान देने की बात है कि नीलामी करने से पहले कोर्ट में संबंधित व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाता है। यानी अगर अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन जमा न करने पर नीलामी हो करना लास्ट ऑप्शन होता है।
नीलामी के बाद क्या होगा
अगर लोन लेने वाला व्यक्ति या बिजनेस समूह लोन नही चुकाते तो उनकी प्रापर्टी नीलम की जाती है। नीलम में मिले प्रापर्टी को लोन देने वाली कंपनी/बैंक उस प्रापर्टी से अपनी लोन वाली रकम वसूलने का प्रयास करती है।
रकम वसूल करने के लिए उस प्रापर्टी को बेचने के लिए फिर से नीलामी की बोली लगवा सकता है। इस नीलामी में यह शर्त होती है कि जिस व्यक्ति से अनसिक्योर्ड लोन वाली रकम के बदले प्रापर्टी जब्त की गई है, उससे संबंधित कोई भी व्यक्ति अपनी प्रापर्टी को खरीद नहीं सकता है।
यहां जानकारी देना आवश्यक है की बैंक या एनबीएफसी कंपनी किन्हीं कारणों से नीलामी नहीं कर सकती हैं तो लोन न जमा करने वाले व्यक्ति को डिफाल्टर घोषित कर दिया है और उसके लोन अकाउंट को एनपीए यानी नॉन परफार्मिंग एसेट्स घोषित कर दिया जाता है।
NPA यानी (नॉन परफार्मिंग एसेट्स) होता क्या है?
भारत में वर्तमान समय तक सरकारी बैंकों का लगभग 9 हजार करोड़ रूपये NPA (Non-performing loan)हो चुका है। NPA यानी (नॉन परफार्मिंग एसेट्स) बैंक द्वारा प्रदान की गई लोन के रूप में वह रकम जिसके वापस आने की संभावना न के बराबर हो।
बैंक या कंपनी लोन वापस करवाने का हर आखिरी प्रयास कर चुके हो, तब भी लोन की रकम वापस नहीं आई हो तो उस लोन अमाउंट और अकाउंट को एनपीए यानी नॉन परफार्मिंग एसेट्स कर दिया जाता है।
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