रात गंवाई सोय कर, दिवस गंवायो खाय । हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ।।

Posted by Jitender G.
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Mar 14, 2021
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भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, रात सो कर बिता दी, दिन खाकर बिता दिया | हीरे के समान कीमती जीवन को संसार के निर्मूल्य विषयों की - कामनाओं और वासनाओं की भेंट चढ़ा दिया - इससे ज्यादा दुखद: और क्या हो सकता है ?
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