DIGITAL VILLAGE NETWORK
सत्य - सन्देश
सम्माननीय ग्रामवासी व नगरवासी,
बुद्धि का विकास ही समाज व राष्ट्र निर्माण का मूल आधार है। जब दुनिया बीसवीं सदी के समाप्ति के समीप थी तब वर्ष 1995 ई0 में कोपेनहेगन में सामाजिक विकास का विश्व शिखर सम्मेलन हुआ था। इस शिखर सम्मेलन में यह माना गया कि - ”आर्थिक विकास अपने आप में महत्वपूर्ण विषय नहीं है, उसे समाजिक विकास के हित में काम करना चाहिए। यह कहा गया कि पिछले वर्षो में आर्थिक विकास तो हुआ, पर सभी देश सामाजिक विकास की दृष्टि से पिछड़े ही रहे। जिसमें मुख्यतः तीन बिन्दुओं - बढ़ती बेरोजगारी, भीषण गरीबी और सामाजिक विघटन पर चिन्ता व्यक्त की गई। यह स्वीकार किया गया कि सामाजिक विकास की समस्या सार्वभौमिक है। यह सर्वत्र है, लेकिन इस घोर समस्या का समाधान प्रत्येक संस्कृति के सन्दर्भ में खोजना चाहिए।“ इसका सीधा सा अर्थ यह है कि व्यक्ति हो या देश, आर्थिक विकास तभी सफल होगा जब बौद्धिक विकास के साथ मनुष्य के गुणवत्ता में भी विकास हो।
समाज सुधार के सम्बन्ध में स्वामी विवेकानन्द जी का कहना था कि - ”सुधारकों से मैं कहूंगा कि मैं स्वयं उनसे कहीं बढ़कर सुधारक हूँ। वे लोग इधर-उधर थोड़ा सुधार करना चाहते हैं- और मैं चाहता हूँ आमूल सुधार। हम लोगों का मतभेद है केवल सुधार की प्रणाली में। उनकी प्रणाली विनाशात्मक है और मेरी संघटनात्मक। मैं सुधार में विश्वास नहीं करता, मैं विश्वास करता हूँ स्वाभाविक उन्नति में।“ स्वाभाविक उन्नति तभी हो सकती है जब उन्नति के संसाधन व्यक्ति के आस-पास ही उपलब्ध हो जिससे अनिच्छा से ही सही उसकी दृष्टि उस पर पड़े। राष्ट्र निर्माण के लिए डिजिटल ग्राम/नगर वार्ड का वेबसाइट स्वाभाविक उन्नति का ही संसाधन है जिसे आपके घर तक पहुँचाया जा रहा है। जिस प्रकार नदी में जल का सतत प्रवाह होता रहता है उसका उपयोग सिंचाईं में हो सकता है। परन्तु बाँध बनाकर जल का उपयोग करने से बिजली भी बनायी जा सकती है। उसी प्रकार मानव समाज में आॅकड़ो (डाटा) का सदैव प्रवाह हो रहा है उसे अपने मस्तिष्क में रोककर इकट्ठा करने से ही उसका विश्लेषण हो सकता है। जितने अधिक आॅकड़ों से विश्लेषण होगा परिणाम उतना ही सटीक होगा। यही बुद्धि है। कम्प्यूटर में भी यदि आॅकड़े कम होगें तो विश्लेषण भी कम ही प्राप्त किये जा सकते हैं। जितने बड़े क्षेत्र के लिए कार्य करना हो उतने बड़े क्षेत्र से सम्बन्धित आॅकड़े जुटाये जाते हैं। यही बुद्धि है। कोई भी कार्य सिर्फ एक कारण से नहीं होता। अधिक से अधिक कारणों को जानना, कर्म की सटीक व्याख्या है।
हमारे देश के नागरिकों, विद्यार्थीयों व छात्रों के लिए अब यह उपलब्धता है कि ऐसे बहुत से आँकड़े जो उनके जीवन से प्रत्यक्ष सम्बन्ध रखते हुये भी उन्हें ये अनुभव नहीं करा पाते कि वे उनसे सीधे प्रभावित और संचालित हैं, अब उन्हें एक साथ उपलब्ध है। जिससे उनके समय को बचाया जा सके और उनके बुद्धि के विकास और स्वाभाविक उन्नति में सहायता उपलब्ध कराया जा सके। हमारे दृष्टि में छात्र वे हैं जो किसी शैक्षणिक संस्थान के किसी शैक्षणिक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले कर अध्ययन करतेे है। और विद्यार्थी वे हैं जो सदैव अपने ज्ञान व बुद्धि का विकास कर रहे हैं और उसके वे इच्छुक भी हैं। इस प्रकार सभी मनुष्य व जीव, जीवन पर्यन्त विद्यार्थी ही बने रहते हैं चाहे उसे वे स्वीकार करें या ना करें। जबकि छात्र जीवन पर्यन्त नहीं रहा जा सकता।
इस संघनित (Compact) होती दुनिया में ज्ञान को भी संघनित करना अवाश्यक है। मैकेनिक जो मोटर बाईडिंग करता है यदि वह केवल इतना ही जानता है कि कौन सा तार कहाँ जुड़ेगा जिससे मोटर कार्य करना प्रारम्भ कर दें, तो ऐसा मैकेनिक विभिन्न शक्ति के मोटर का आविष्कार नहीं कर सकता जबकि विभिन्न शक्ति के मोटर का आविष्कार केवल वही कर सकता है जो मोटर के मूल सिद्धान्त को जानता हो। ऐसी ही शिक्षा के सम्बन्ध में स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था - ”अनात्मज्ञ पुरूषों की बुद्धि एकदेश-दर्शिनी (Single Dimensional) होती है। आत्मज्ञ पुरूषों की बुद्धि सर्वग्रासिनी (Multi Dimensional) होती है। आत्मप्रकाश होने से, देखोगे कि दर्शन, विज्ञान सब तुम्हारे अधीन हो जायेगे।“
इस पहल से हमारा मकसद गाँव व नगर के लोगो को सभी सरकारी परियोजनाओं की जानकारी ऑनलाइन उपलबध कराना है ताकि लोग सेवाओ का बेहतर लाभ उठा सके। इस पोर्टल के अंतर्गत गांव व नगर की जानकारी से लेकर जिला, प्रदेश, देश व विश्व की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। सभी सरकारी योजनाओं की सूची ऑनलाइन उपलब्ध करायी गयी है ताकि लोग उन योजनाओं से जुड़ कर फायदा उठा सके। इस हेतु शारीरिक, आर्थिक व मानसिक विकास को मुख्य बिन्दु मानकर व्यक्ति से लेकर विश्व तक को एक ही वेबसाइट में इस प्रकार संगठित किया गया है जिससे कि अपने ग्राम व नगर वार्ड के वेबसाइट के माध्यम से ही वे सभी ज्ञान-संसार-सूचना व व्यापार तक पहुँच सकें जो एक भारतवासी के लिए न्यूनतम रूप से आवश्यक हों। साथ ही वेबसाइट मालिक, ग्रामवासी व नगरवासी राष्ट्रनिर्माण के व्यापार में शामिल होकर व्यापार का लाभ भी अर्जित कर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
हमारा मानना है की डिजिटल पोर्टल से जुड़कर ग्रामीणों व नगर निवासियों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। ये अपने-आप में एक बड़ी चुनौती है कि कैसे लोगों को यह भरोसा दिलाया जाए कि डिजिटल ग्राम व नगर के इस्तेमाल से उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आ सकता है? एक ऐसे जगह जहां ज्यादातर लोग अपना समय या तो खेतों में गुजारते हों या फिर स्थानीय व्यवसाय और मजदूरी में, ये डिजिटल ग्राम व नगर उसी सूरत में चल सकती हैं, जब उनका कामकाज ऐसे गैर सरकारी संगठनों यानी एन.जी.ओ के हाथ में हो यानी जिनके पास इस काम का अनुभव हो और जिनका इन पर कुछ असर हो। फिर भी यह जानना चाहिए कि ”अच्छे दिन तभी आ सकते है जब मनुष्य की बुद्धि की विकास की दिशा, देश और विश्व स्तर की बुद्धि की व्यापकता की ओर हो।“
अतः आप सब सम्माननीय राष्ट्र निर्माता गुरूजन, शिक्षा मन्दिर संचालकगण, छात्रों-विद्यार्थीयों, ग्राम व नगर पंचायत पदाधिकारीयो व निवासीयों ंसे निवेदन है कि व्यक्ति निर्माण के माध्यम से हम सभी राष्ट्र व विश्व निर्माण के माध्यम बनकर ”आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विरासत के आधार पर एक भारत-श्रेष्ठ भारत निर्माण” में अग्रसर हों।,
धन्यवाद,
प्रबन्ध निदेशक
डिजिटल ग्राम नेटवर्क वेबसाइट www.digitalvillagescheme.com
All Categories
Music
35
Others
673
Communications
153
Career
167
Spirituality
54
Finance
423
Internet & eBusiness
3776
Software
297
Arts & Crafts
361
Health & Medical
2882
Self Improvement
192
Automotive
122
Food & Drink
451
Home & Family
880
Relationships
146
Affiliate Marketing
1551
Travel
850
Entertainment
223