Back to List
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।।
भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, कि प्रत्येक मनुष्य को ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जो श्रोता (सुनने वाले) के मन को आनंदित (अच्छी लगे) करे। ऐसी भाषा सुनने वालो को तो सुख का अनुभव...
© APSense LTD. All-in-One Business Hub. All Rights Reserved. This forum service is provided by APSense.com
Comments
How it works: