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बैंक लोन नहीं चुका पा रहे, आपको भी हैं ये 5 अधिकार

by Neeraj Bisaria SEO Exec.
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अगर आप ने बैंक से लोन लिया है और किसी बड़ी परेशानी के कारण समय पर इसे चुकाने में नाकाम रहते हैं तो बैंक अपनी मर्जी से आपके साथ कुछ भी नहीं कर सकता है। बैंक को अपना पैसा वसूलने का अधिकार है लेकिन उसे एक प्रक्रिया का पालन करना होता है। ऐसे में क्या है सारी प्रक्रिया जानना आपके लिए जरूरी है। आइये आज जानते हैं कि लोन चुकाने में असफल रहने वाले लोगों के पास क्या अधिकार होते हैं...

नोटिस का अधिकार

समय पर लोन चुकाने में नाकाम रहने से आपके सारे अधिकार छिन नहीं जाते हैं। अपने बकाया की वसूली के लिए आपकी संपत्ति पर कब्जा जमाने से पहले बैंक को प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है और बकाया चुकाने का आपको समय देना होता है। बैंक इस तरह की कार्रवाई सिक्यॉरिटाइजेशन ऐंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनैंशल ऐसेट्स ऐंड एंफोर्समेंट ऑफ सिक्यॉरिटी एंट्रेस्ट (सारफेसी) ऐक्ट के तहत करते हैं। अगर कर्जदार के खाते को नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) में डाल दिया गया है और 90 दिनों से बकाया का भुगतान नहीं किया गया है तो पहले बैंक को 60 दिनों का एक नोटिस जारी करना पड़ता है।

बैंकिंग और मैनेजमेंट कंसल्टेंट वी.एन.कुलकर्णी ने बताया, 'अगर कर्जदार नोटिस पीरियड के दौरान पैसा देने में नाकाम रहता है तो बैंक उसकी संपत्तियों की नीलामी कर सकता है। लेकिन नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बैंक को एक बार फिर 30 दिनों की पब्लिक नोटिस देनी होती है जिसमें नीलामी के विवरण का उल्लेख जरूरी होता है।'

उचित मूल्य का अधिकार

अगर आप 60 दिनों की अवधि के अंदर लोन चुकाने में असफल रहते हैं तो बैंक आपकी संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। लेकिन ऐसा करने से पहले बैंक को एक और नोटिस देना होता है। इस नोटिस में बैंक आपकी संपत्ति की बैंक के वैल्यूअर्स द्वारा तय की गई कीमत, रिजर्व प्राइस, नीलामी की तारीख और समय के बारे में जानकारी देता है।

कुलकर्णी ने बताया, 'अगर कर्जदार को लगता है कि उसकी संपत्ति की कीमत कम लगाई गई है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकता है। वह इसको सही ठहराने के लिए ऐसे किसी ऑफर का हवाला दे सकता है, जो उसे मिला हो। इस पर गौर करने के बाद बैंक फैसला ले सकता है।'

​संपत्ति की नीलामी में बाकी रकम का अधिकार

बैंक के कब्जे में जाने के बाद भी संपत्ति पूरी तरह आपके हाथ से निकल नहीं जाती है। अगर संपत्ति की नीलामी की रकम लोन और सारी प्रक्रिया पर होने वाले खर्च से ज्यादा है तो बाकी रकम पाने का आपको अधिकार है। इसको ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए बैंक का आप पर कुल 50 करोड़ बकाया है। नीलामी और अन्य प्रक्रिया में 1 करोड़ रुपये खर्च होता है। दोनों को मिलाकर कुल 51 करोड़ हो गया। अगर जमीन 60 करोड़ में बिकती है तो बाकी का 9 करोड़ रुपये आपको वापस किया जाएगा।

​सुने जाने का अधिकार

नोटिस पीरियड के दौरान आप अथॉराइज्ड अधिकारी के सामने अपनी बात रख सकते हैं और संपत्ति को जब्त करने के नोटिस पर अपनी आपत्ति जता सकते हैं। कुलकर्णी ने बताया, 'अधिकारी को सात दिनों के अंदर जवाब देना होगा। अगर आपकी आपत्तियों को वह खारिज करता है तो इसके वैध कारण भी बताने होंगे।'<

​मानवीय व्यवहार का अधिकार

रिकवरी एजेंट्स के खराब व्यवहार का मामला सामने आने पर आरबीआई ने बैंकों की खिंचाई की। बैंक ने भी स्वेच्छा से बेहतरीन व्यवहार करने का फैसला लिया।

एजेंट्स किसी कर्जदार से उसी स्थान पर मिलेगा, जिसे कर्जदार खुद चुनेगा। अगर उसका कोई निश्चित स्थान नहीं है तो एजेंट्स कर्जदार के निवास स्थान या कार्य स्थल पर जाकर उससे मिल सकते हैं। उनको कर्जदार की निजता का सम्मान करना होगा और सही व्यवहार करना होगा। वे सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक ही कॉल कर सकते हैं। एजेंट्स न तो कर्जदार या उसके परिवार को प्रताड़ित कर सकता है और न धमकी दे सकता है औ न ही अपमान कर सकता है।

Source: navbharattimes


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About Neeraj Bisaria Senior   SEO Exec.

342 connections, 0 recommendations, 945 honor points.
Joined APSense since, May 15th, 2013, From Noida, India.

Created on Apr 2nd 2018 01:35. Viewed 563 times.

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