श्मशान की छत गिरने में योगी सरकार नहीं तो दोषी कौन? राम मंदिर वालों का ध्यान श्मशान पर क्यों नहीं?
by Tanvi Katyal Molitics - Media of Politics
यूपी
के मुरादनगर में एक श्मशान घाट में कुछ लोग एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार
में पहुंचे थे जहां छत गिरने से करीब 24 लोगों की जान चली जाती है कई लोग
घायल भी हो गए। बारिश से बचने के लिए जिस इमारत के नीचे लोग खड़े थे उसे हाल
ही में बनाया गया था। हल्की गुणवत्ता के उपकरणों के इस्तेमाल से भवन इतना
कमजोर था कि उसकी छत गिर गई।
इस
बीच एक्शन में यूपी पुलिस, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया कड़ा
एक्शन, इलाके में मचा हड़कंप, यूपी के मंत्री ने व्यक्त किया दुख जैसी तमाम
हैडिंग आज कल परसो तक न्यूज़ चैनलों में दौड़ती रहेंगी। पर सोचने वाली बात ये
है कि आखिर ऐसा हुआ कैसे? गलती किसकी है? क्या पीड़ित परिवार को दो-दो लाख
की आर्थिक सहायता प्रदान करना काफी है? या योगी जी का दुख व्यक्त करना काफी
है? अगर यह घटना किसी और राज्य में हुई होती तो?
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यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल लगातार उठते रहते है, विपक्ष सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा। देखा जाए तो मुरादनगर में 'करप्शन' की ही छत गिरी है, ये हादसा यूपी में चल रहे भ्रष्टाचार का ही नतीजा है, इस घटना में ठेकेदार को जिम्मेदार ठहराया गया है, हादसे में जूनियर इंजिनियर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338, 427, 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
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महाराष्ट्र
के भिवंडी मामले को अगर याद करें तो वो भी कुछ ऐसी ही घटना थी मलवे में
दबने की वजह से करीब 25 लोगों की जान चली गई थी, उस मामले बृहन्मुंबई नगर
निगम ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया था लेकिन श्मशान मामले
में योगी सरकार ठेकेदार से आगे बढ़ी ही नहीं।
एक
ठेकेदार को पकड़ लेने से यूपी की यह समस्या खत्म नहीं होने वाली इससे पहले
यूपी के एटा जिले में एक निर्माणाधीन पुल का पिलर और गार्डर गिर गया था,
इस हादसे में 2 श्रमिकों की मौत हुई थी और कई श्रमिक घायल हो गए थे, बाइपास
के लिए बनने वाला पुल अगर टूटता है तो दो शहर अलग हो जाते हैं और इस एक
पिलर को बनने में सालों लग जाते हैं।
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मुरादनगर की घटना को 4 दिन में सब वैसे ही भूल जाएंगे जैसे हाथरस की घटना को लोग भूल गए, सरकार क्या कर रही दोषियों का क्या हुआ ये किसी को नहीं पता। लेकिन मुरादनगर जैसी घटना शहर की सोसाइटियों में भी हो सकती है, वजह ये है कि बहुमंजिला सोसायटियों में बिल्डर के बनाए गए फ्लैट्स की गुणवत्ता खराब होने से निवासियों को अनहोनी का डर सता रहा, मुरादनगर की घटना के बाद लोग इमारतों की खामियों पर सवाल उठाने लगे हैं, बाहर से चमचमाती इमारतों के अंदर का हाल कुछ और है सोते हुए सिर पर प्लास्टर गिरते है, ईंट दिखने लगी, लोगों में बिल्डर के खिलाफ आक्रोश है। सोमवार को नोएडा के सेक्टर-74 स्थित सुपरटेक केपटाउन सोसायटी के सीजी-2 टावर के कारिडोर में अचानक प्लास्टर भरभरा कर गिरने की घटना सामने आई है।
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बता दें कि 18 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई की जितनी भी इमारतें बनाई जाती हैं, उनका नक्शा पास कराने से पहले स्ट्रक्चर के भूकंपरोधी होने के लिए स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट जमा करना होता है, लोगों की सुरक्षा के लिए यह व्यवस्था की गई है पर कई बार इस पर ध्यान नहीं दिया जाता, गुणवत्ता की जांच किए बिना आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट या कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि गुणवत्ता की जांच के लिए कोई नियम नहीं है, यही कारण है कि बिल्डर धन कमाने के लिए खराब गुणवत्ता की सामग्री का प्रयोग करते है और एक-दो साल बाद नतीजा दिखने लगता है।
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अब
सवाल यह है कि अगर इन्हीं ढीले नियम कानून के नीचे दबकर लोगों की जान चली
जाती है तो इसका जिम्मेदार प्राधिकरण, बिल्डर, इमारत को बनाने वाला ठेकेदार
या योगी जी है जो राम मंदिर के अलावा किसी और बिल्डिंग में फोकस ही नहीं
करते।
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Created on Jan 8th 2021 05:53. Viewed 290 times.