मथुरा मंदिर में फैजल खान की नमाज से भड़कने वाले धार्मिक अंधे हो चुके हैं!
by Tanvi Katyal Molitics - Media of Politicsमथुरा मंदिर में फैजल खान की नमाज से भड़कने वाले धार्मिक अंधे हो चुके हैं!
देश की पूरी राजनीति हिन्दू-मुसलमान के बीच बंट गई है। मीडिया का बड़ा हिस्सा भी स्कूल-कॉलेज के बजाय मंदिर-मस्जिद में ही जुटा रहता है। 29 अक्टूबर को मथुरा के नंद बाबा मंदिर में चार लोग आए, मंदिर के पुजारी से मौखिक इजाजत ली और नमाज अदा किया। 2 नवंबर को उनके नमाज पढ़ने की फोटो सोशल मीडिया पर आई तो हायतौबा मच गया। थोड़ी ही देर में घटना को सियासी रंग से रंग दिया गया। यूपी पुलिस हरकत में आई और उसने फैसल खान के खिलाफ धारा 153A, 295, 505 के तहत बरसाना थाने में FIR दर्ज कर ली। ये शिकायत मंदिर प्रशासन की ओर से दर्ज करवाई गई है। शिकायत में कहा गया कि फोटो डालने से हिन्दू समुदाय की भावनाएं आहत हुई है, आस्था को गहरी चोट पहुंची है।
अपराध पर पुलिस भले देर से जागती हो लेकिन इस मामले में वह तुरंत सक्रिय हुई और फैसल को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद फैसल ने कहा, उन्होंने धोखे से नमाज नहीं पढ़ी बल्कि सबके सामने नमाज पढ़ी। साथ में दो हिन्दू साथी भी थे। किसी ने भी मना नहीं किया। फैसल ने कहा, अगर कोई रोकता तो हम वहां नमाज ही न पढ़ते। हमने तो सद्भावना के लिए नमाज पढ़ी थी। FIR को लेकर उन्होंने कहा, ये तो राजनीतिक कारणों से हुआ है। ये राजनीति किसके कहने पर हुई है ये बात यूपी में तो सभी जानते हैं।
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भावनाओं के आहत होने, आस्थाओं को ठेस लगने और संवेदनाओं के मरते जाने का अभूतपूर्व दौर चल रहा है। बात बात पर मां-बहन की गालियां देने वालों की भावनाएं सबसे पहले और सबसे ज्यादा आहत हो रही है। असल में ये भावनाएं और आस्थाएं राजनीति की बहुत महीन टूल हैं जिसका इस्तेमाल करके ही तो सत्ता की रोटी तोड़ी जा रही है। जो फैसल खान अपने घर पर कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाते हैं, हिन्दू त्यौहारों को भी अपने साथियों के साथ मिलकर मनाते हैं उन्हें आज जिहादी कहा जा रहा है। समाज को बांटने वाला बताया जा रहा था।
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फैसल खान को जानने वाले बताते हैं कि वह कट्टरता के खिलाफ लंबे वक्त से लड़ रहे हैं। उन्होंने गांधीवादी विचारधारा को ही सबकुछ समझा है। मुस्लिमों में अनपढ़ता और बेवकूफी मिटाने के लिए लंबे वक्त से काम कर रहे हैं। उनका एक नारा है कि अगर नफरत फैलाई जा सकती है तो मोहब्बत भी वायरल की जा सकती है। लेकिन उनकी बातों को कोई इतनी आसानी से कैसे पचा लेगा भला। जब पूरी राजनीति ही हिन्दू-मुसलमान के बीच फूट डालो और शासन करो पर आधारित हो, तो शांति की बात करने वालो को कौन हजम कर पाएगा। मीडिया का एक बड़ा हिस्सा तो प्रोपगेंडा फैलाने के लिए ही बैठा है। अब अगर उसके पेट पर कोई लात मारेगा तो वो चुप कैसे बैठेगा। निश्चित तौर पर जहर उगलेगा। मेरी बात पर न भरोसा हो तो टीवी देख लीजिए, सुबह से शाम तक सिर्फ नफरत ही तो फैलाई जा रही है।
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Created on Nov 5th 2020 05:11. Viewed 213 times.