Attack on the ethnic poison of Twitter!
by Tanvi Katyal Molitics - Media of Politicsराजनैतिक चर्चाएँ हों या सामाजिक विमर्श - ट्विटर देश लोगों की आवाज़ को विस्तार देने वाले एक मजबूत प्लेटफॉर्म के रूप में उभरा है। आज के दौर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोकतंत्र का अभिन्न अंग बन गया है. लेकिन पिछले कुछ महीनों से ट्विटर की छवि खूब धूमिल हुई है। ट्विटर समय समय पर गतिविधियों के आधार पर कई एकाउंट्स को सस्पेंड कर देता है। इनमें से दो प्रमुख सस्पेंशन वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल और दलितों के मुद्दों को मुखरता से उठाने वाले हंसराज मीणा शामिल हैं।
मनीष माहेश्वरी को हटाने की उठी मांग
एक ट्विटर ट्रेंड #SackManishMaheshwari के जरिए ट्विटर के एमडी मनीष माहेश्वरी को हटाने की मांग हुई। ट्वीट करने वाले लोगों ने मनीष माहेश्वरी पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाकर खूब लताड़ा। इसके अलावा #CasteistTwitter और #JaiBheemTwitter का हैशटैग भी चलाया गया।
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बहुजन एकता का प्रदर्शन
दिलीप मंडल ने अपने कई ट्वीट्स में लिखा कि बहुजन केवल फॉलो करने के लिए नहीं हैं। अब वो किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे बल्कि अपनी आवाज़ खुद उठाएँगे। इस दौरान बाबासाहेब के पौत्र प्रकाश आंबेडकर, खुद उनके और कई अन्य द्लित एक्टिविस्ट्स के अकाउंट के वेरीफाई न होने पर भी सवाल उठाया गया।
दलित विरोधी चेहरे के रूप में उभरा ट्विटर
दिलीप मंडल जाने माने दलित चिंतक, लेखक और पत्रकार हैं। 1 मार्च को दिलीप मंडल ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि 2019 लोकसभा चुनावों के लिए बहुजन एजेंडा छप चुका है। ये तमाम राजनैतिक दलों को दिया जाएगा। एक मेल आईडी देते हुए उन्होंने लिखा कि अगर कोई उस एजेंडे को प्रिंट कराना चाहे और बाँटना चाहे तो उक्त मेल आईडी पर संपर्क कर सकता है। ट्विटर ने इश ट्वीट को अपनी निगरानी में रिव्यू करने के लिए रखा औऱ इस दौरान दिलीप मंडल का ट्विटर एकाउंट सस्पेंड रहा।
हंसराज मीणा का एकाउंट भी हुआ था सस्पेंड
इससे पहले दलित एक्टिविस्ट हंसराज मीणा का अकाउंट भी सस्पेंड हुआ था। गौरतलब है कि हंसराज दलितों के मुद्दों को मुखरता से उठाते हैं। हंसराज के एकउंट सस्पेंड होने के बाद भारी संख्या में पत्रकार और एक्टिविस्ट्स इनके समर्थन में आए। एक हैशटैग चलाकर इसके समर्थन में ट्वीट किए गए। बाद में एकाउंट चालू कर दिया गया।
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क्या ट्विटर जान-बूझ कर इस तरह के सामाजिक भेदभाव को बढ़ा रहा है या फिर किसी राजनैतिक दबाव में ऐसा हो रहा है - कहा जाना मुश्किल है। एक बात तय है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोगों के मंच बन गए हैं। और समाज को ध्रुवीकृत या विखंडित करने वाले किसी भी एजेंडे का खुलकर विरोध ज़रूरी है।
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source: https://www.molitics.in/article/602/casteist-twitter-trend-by-dilip-mandal
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Created on Nov 7th 2019 04:08. Viewed 510 times.