हर दंपती के लिए मां-पिता बनना एक बेहद खूबसूरत पल
होता है. लेकिन दूसरी तरफ पैरेंट्स बनना इतना आसान काम भी नहीं है. कई मौके
आते हैं जब आप खुद को एक पैरेंट्स के तौर पर बुरी तरह असफल महसूस करते
हैं. हालांकि हर पैरेंट्स की जिंदगी में ऐसे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.
हम आपको बता रहे हैं कि आप कैसे एक अच्छे पैरेंट्स साबित हो सकते हैं, बस कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर.
1- उन पर गर्व करें, कोसे नहीं-मां-बाप बनने के एहसास से खूबसूरत कोई एहसास नहीं होता है. यह हर किसी
की जिंदगी में किसी तोहफे से कम नहीं होता है. आप खुद को खुशकिस्मत समझिए
और अपने बच्चे को भी ऐसा ही महसूस कराइए. कई लोग कुछ वजहों से मां-बाप नहीं
बन पाते हैं और उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश यही रह जाती है कि उनकी भी कोई
औलाद हो. इसलिए कभी भी अपने बच्चों पर अफसोस ना करें और ना ही अपने बच्चों
के अंदर ऐसी भावनाएं पनपने दें.
2-कभी भी उनकी तुलना ना करें-यह एक जुर्म है कि आप अपने बच्चे
की तुलना किसी और से करती हैं. चाहे वे आपके बच्चे के दोस्त हों, भाई-बहन
हों या फिर कोई और. आपको यह समझना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप में खास होता
है. हर बच्चे के अलग सपने और सोच हो सकती है और यह पैरेंट्स का काम है कि
वे उनकी भावनाओं और सपनों का सम्मान करें.
अगर आप अपने बच्चे को किसी से
कमतर बताते हैं तो वह धीरे-धीरे हीनभावना का शिकार हो सकता है और उसका
आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे
को उसी रूप में स्वीकार करें जैसे वो हैं. वे अपनी जिंदगी में जो बनना
चाहते हैं, उन्हें बनने दें. उन्हें जिस चीज में दिलचस्पी है, उन्हें करने
दें.
3-कभी भी उन्हें कड़ी सजा ना दें-जो बच्चा गलतियां ना करें, शरारत ना
करें, वह बच्चा बच्चा नहीं है. इसका यह मतलब नहीं है कि आप उनकी हर गलती पर
आंख मूंद लें. बस बात इतनी है कि उन्हें सजा और डांट एक अनुपात में हो.
किसी भी परिस्थिति में उन्हें शारीरिक रूप से सजा ना दें. अपना सम्मान खोने
के साथ-साथ बच्चों को पीटना उन्हें हिंसक बना देती हैं. आपका बच्चा दूसरों
से भी मारपीट करना शुरू कर देगा और उसके अंदर आक्रामकता बढ़ती जाएगी. अपने
बच्चों को सबक सिखाने के लिए दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करें लेकिन उन्हें
मारें-पीटे नहीं.
4-उन्हें समझाने के लिए स्वाभाविक नतीजे बताएं-आप
चाहे कितना भी डांट लें और धमकी दें उन्हें कभी भी अपनी गलती समझ नहीं
आएगी. सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें समझाने के लिए व्यावहारिक नतीजे देखने
दें. उदाहरण के तौर पर- आपने अपने बच्चे को कमरा साफ रखने की हिदायत देती
है तो छोड़ दें. जब उसकी चीजें खोने लगेंगी तो उसे खुद ही यह बात समझ आएगी.
इसमें वक्त तो ज्यादा लगेगा लेकिन तरीका कारगर जरूर है.
5-हमेशा याद रखें कि आपके बच्चे की उम्र कितनी
है-सबसे अहम बात यह है कि आपको अपने बच्चे की परवरिश में उनकी उम्र का
ख्याल रखना चाहिए. अगर आप अपने टीनेज बच्चे को टॉडलर की तरह ट्रीट कर रही
हैं तो यह नुकसानदायक साबित हो सकता है. उम्र बढ़ने के साथ हर बच्चे को
आजादी चाहिए होती है इसलिए अपने बच्चे की उम्र के हिसाब से उनकी जरूरतों का
ध्यान रखें और उन्हें पर्याप्त स्पेस मुहैया कराएं. हालांकि यह इतना आसान
नहीं होता है कि आपका व्यवहार तेजी से बदल जाए लेकिन समय की मांग यही है कि
परवरिश में बच्चों की उम्र का खास ख्याल रखें.
6-दूसरों की सलाह पर ना करें पैरेंटिंग-जब आफ
पैरेंट्स बन जाते हैं तो हर कोई आपको अपनी सलाह देने आ जाता है. लेकिन इसका
मतलब यह नहीं है कि आपको जो कोई जो सलाह दे, आफ उसे मान लें. आपको यह
समझने की जरूरत है कि हर परिवार की अलग कहानी है और हर घर की अलग
परिस्थितियां. हो सकता है उनके बच्चे के लिए जो चीज कारगार साबित हुई हो,
वह आपके बच्चे के लिए ना हो.
आप दूसरों की सलाह सुनें लेकिन उन पर अमल तभी करें जब वह आफके परिवार के
अनुकूल हों, आपसे ज्यादा आपके बच्चे को कोई नहीं समझ सकता है इसलिए आपसे
बेहतर कोई यह तय नहीं कर सकता है कि आपके बच्चे के लिए क्या सही है और क्या
गलत.