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ऑपरेशन ब्लू स्टार : पढ़िए, स्वतंत्र भारत में असैनिक संघर्ष की सबसे खूनी लड़ाई का पूरा किस्सा

by Tanvi Katyal Molitics - Media of Politics

ऑपरेशन ब्लू स्टार को आज 36 बरस हो गए। 1984 में पंजाब के हालात आज के कश्मीर के जैसे थे। प्रदेश में अस्थिरता पैदा करने की जोरदार कोशिश हो रही थी। पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल की हत्या कर दी जाती है। जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस रुकवाकर उसमें बैठे हिन्दुओं को चुन-चुनकर गोली मार दी। विमान हाईजैक कर लिया गया। पंजाब की स्थिति बेकाबू हो चुकी थी इसलिए केंद्र की सत्ता में बैठी इंदिरा गांधी ने वहां कि सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगा दिया।

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प्रदेश को अस्थिर करने वाला कोई और नहीं बल्कि पंजाब में ही जन्मा जनरैल सिंह भिंडरावाले था। भिंडरावाले कोई मामूली इंसान नहीं था। शुरुआती जीवन आम लोगो जैसा रहा। फिर राजनीति में अपने तेज तर्रार बोल के कारण पंजाब के लोगों में अपनी पहचान बना लिया। कहा जाता है कि संजय गांधी का हाथ हमेशा उसके ऊपर रहा। भिंडरावाले पंजाब में लोगों को नशा छोड़ने को लेकर जागरुक करता था फिर अचानक उसमें बदलाव हुआ और अलग “खालिस्तान” की कल्पना जाग गई। “राज करेगा खालसा” का नारा उसके दिमाग में बस गया और वह आतंकवाद के रास्ते पर चला गया।

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भिंडरावाले के अन्दर हिन्दुओं को लेकर नफरत बढ़ चुकी थी। अलग खलिस्तान की मांग को लेकर उसने रास्तें में आई हर बाधा को उसने काट दिया। उसकी नफरत ने उसे सिखो के बीच पॉपुलर कर दिया। 1981 में उसने पंजाब केसरी निकालने वाले हिन्द समाचार समूह के प्रमुख लाला जगत नारायण सिंह की हत्या कर दी। आरोप भिंडरावाले पर लगा पर उसे पकड़ने की हिम्मत पंजाब पुलिस में नहीं थी। उसने खुद गिरफ्तारी के लिए दिन और समय निश्चित किया था। उसे सर्किट हाउस में रखा गया और बाद में छोड़ दिया गया।

1983 से अलग खलिस्तान की मांग बढ़ने के साथ भिंडरावाले का आतंक भी बढ़ गया था। उसने स्वर्ण मंदिर को एक किले में तब्दील कर दिया था। सिर के ऊपर पानी जाता देख तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के माथे पर भी चिन्ता की लकीरे दिखने लगी थी। भिंडरावाले के खात्मे के लिए उन्होंने अधिकारियों से बात करनी शुरू की। बातचीत के दौरान उन्होंने पूछा खात्मे में “कितना नुकसान होगा” अधिकारी ने कहा कि तैयारी बेहतर है नुकसान कम होगा। पर इंदिरा को भिंडरावाले की शक्ति का एहसास था इसलिए फैसला लेने में हिचकती रही। आखिर में सेना को ऑपरेशन ब्लू स्टार की इजाजत दे दी गई।

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ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू होने से ठीक पहले राज्य की बिजली और टेलीफोन व्यवस्था काट दी गई। तीन जून को मंदिर की घेराबंदी करके फायरिंग शुरू कर दी गई। अर्जुन देव शहीदी होने के कारण मंदिर में काफी लोग थे। इसलिए सेना खुलकर फायरिंग नहीं कर सकती थी। आतंकियों को जब लगा कि सेना ने उनके सफाए के लिए अभियान चला रखा है तो उन्होंने मंदिर के अन्दर आए लोगों को ही डाल बना लिया और किसी को बाहर निकलने ही नहीं दिया। रात के साढ़े 10 बजे लगभग 20 कमांडों नाइट विजन चश्में, स्टील हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर स्वर्ण मंदिर में घुसे।

सेना के लोग श्रद्धालु व पत्रकार बनकर अन्दर की रेकी तो कर लिए थे पर उन्हें भिंडरावाले की सही ताकत का अंदाजा लगाने में चूक हो गई थी। सेना होशियारी से इस ऑपरेशन को अंजाम देना चाहती थी पर उनकी होशियारी को भिंडरावाले की आतंकी सेना चुनौती दे रही थी। सेना को सख्त आदेश था कि अकाल तख्त पर गोलीबारी नहीं की जाएगी पर आंतकियों में ऐसा कुछ नहीं था वह हर जगह से गोलियां तड़तड़ा रहे थे। रात के दो बज चुके थे सेना और आतंकी दोनों की लाशे गिर रही थी। सेना को लग गया कि उसने आंतकियों की ताकत को हल्के में ले लिया है।

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आतंकी लगातार मशीनगन से गोलियां तड़तड़ाते रहे। भारतीय कमांडो दस्ते ने गोले फेंककर उनके इस ठिकाने को शान्त किया। सुबह तीन विकर विजयंत टैंक लगाए गए। 105 मिलिमीटर के गोले दागकर सेना ने अकाल तख्त की दीवारें उड़ा दी। उसके बाद चुन चुनकर आतंकियों को पकड़ा गया। दिनभर रुक रुककर गोलियां और बम चलते रहे। शाम को भिंडरावाले को मारकर गिरा दिया गया। इसके साथ ही ऑपरेशन ब्लू स्टार खत्म हो गया।

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स्वतंत्र भारत में असैनिक संघर्ष में यह सबसे खूनी लड़ाई थी। भिंडरावाले को रोकने के लिए मशीनगन, हल्की तोपें, रॉकेट और आखिरकार लड़ाकू टैंक तक आजमाने पड़े। इस ऑपरेशन में सेना के 83 जवान और 492 नागरिक मारे गए थे। इस घटना से कुछ महीने बाद ही इंदिरा गांधी की हत्या कर दी जाती है। उसके बाद देश में सिखों का कत्लेआम होता है।
source link: https://www.molitics.in/article/691/full-story-of-operation-blue-star-1984-in-hindi


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About Tanvi Katyal Advanced   Molitics - Media of Politics

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Joined APSense since, May 8th, 2019, From guragaon, India.

Created on Jun 8th 2020 07:09. Viewed 279 times.

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