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काश! हिन्दुओं में भी कोई जिन्ना होता

by Amit M. Blogger

Kash Hinduo Me Bhi Koi Jinna Hota

धर्मार्थ की राह पर चलने वाले एक शख्स की व्यथा है..."काश! हिन्दुओं में भी  कोई जिन्ना होता"इस पुस्तकके लेखक श्री संजय टंडन हैं, जिन्होंने इसे हिंदू समुदाय के भूत, वर्तमान व भविष्य को ध्यान में रखकर लिखा है। इस पुस्तक के एक-एक शब्द में लेखक का अपने धर्म के प्रति दर्द व हिंदू धर्म का समर्थन न करने वाले धर्म विद्रोहियों के प्रति क्रोध मालूम चल रहा है। पुस्तकके लेखक श्री संजय टंडन ने अपनी लेखनी के ज़रिए हिंदू समाज से बहुत से सवाल पूछे हैं साथ ही उन्होंने अपने हिंदू धर्म का सम्मान न करने वालों को ललकारा भी है।

 

बात करें अगर इस पुस्तक के शीर्षक "काश!हिन्दुओं में भी कोई जिन्ना होता" की, तो इसे यह नाम देने का अभिप्राय केवल इतना है कि जिस प्रकार से जिन्ना ने केवल अपने समाज अर्थात मुस्लिम समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य किए एवं एक अलग मुस्लिम राष्ट्र का निर्माण कर डाला,क्या उस प्रकार से कभी हिंदू नेताओं ने ऐसा कोई कार्य कियाहै? जिन्ना द्वारा किए गए समस्त कार्य मुस्लिम समाज की दृष्टि से अत्यधिक सराहनीय थे साथ ही ये सभी इस बात का प्रमाण हैं कि जिन्ना अपने समाज एवं धर्म के प्रति निष्ठावान थे परंतु क्या कभी किसी हिंदू नेता के कार्य से हिंदू धर्म ने गौरव महसूस किया है?


इस पुस्तक को 6 भागों में बांटा गया है। पहले भाग यानि इस्लाम धर्म की सच्चाई में ये बताया गया है कि किस प्रकार मुस्लिम शासकों ने एक-एक कर भारत के मंदिरों को तोड़ा और हिंदू धर्म का विध्वंस करने का प्रयास किया। वहीं इसके दूसरे भाग में भारत में बने ऐतिहासिक भवनों का ज़िक्र किया गया है। अपने इस भाग में ईमारतों से संबंधित हज़ारों तथ्य प्रकट करके, संजय जी ने हमारे इतिहास पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है और ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें पढ़ाए गए इतिहास में कितनी सच्चाई है और कितना झूठ। 

तीसरे व चौथे भाग का शीर्षक"अंतिम हिन्दू", एक ही है परंतु इसका चौथा भाग बंगला लेखक ए.घोष की रचना का हिंदी अनुवाद है, जिसे श्री पुरुषोत्तम जी द्वारा अनुवादित किया गया है। इन दोनों ही भागों में दुनिया में मिट रहे हिन्दुओं के अस्तित्व पर प्रकाश डाला गया है साथ ही लेखक द्वारा इसके प्रति गहरी चिंता जताई गई है। पांचवें भाग विचित्र हिंदू में हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक गाजी और शहीदों की मजारों का विवरण प्रस्तुत किया है। अपने आखिरी भाग में हिंदू धर्म की रक्षा हेतु संदेश दिया गया है और देश की हिंदू जनता से ये अपील की गई है कि जागो और अपने धर्म के प्रति वही भाव दिखाओ, जैसा जिन्ना ने अपने मज़हब के प्रति दिखाया था।

 

संजय टंडन की नज़र में जिन्ना एक सच्चे धर्मरक्षक थे और अपने-अपने धर्म के उत्थान के लिए हर किसी को ऐसे ही शख़्स की ज़रूरत थी, है और रहेगी। अपनी इस पुस्तक के शीर्षक "काश! हिंदुओं में भी कोई जिन्ना होता" के इस "काश" में संजय जी की "आस" छुपी है, जिसे उन्होंने अपने सटीक व कटाक्ष अंदाज़ में व्यक्त किया है और सोएं हुए हिन्दुओं को जगाने के लिए एक अलार्म लगाया है। 


पुस्तकः काश! हिन्दुओं में भी कोई जिन्ना होता

लेखक: संजय टंडन

मूल्य: रु. 160 (पेपर बैक)

प्रकाशन- ऑनलाइन गाथा पब्लिकेशन


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About Amit M. Junior   Blogger

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Joined APSense since, September 21st, 2018, From lucknow, India.

Created on Sep 21st 2018 05:17. Viewed 395 times.

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